रसोई गैस की कीमत प्रति सिलैंडर हजार रुपए होने से गरीबों के चूल्हों में फिर जलने लगी आग

punjabkesari.in Tuesday, Dec 11, 2018 - 10:46 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): देश को आजाद हुए 7 दशक से भी अधिक का समय बीत चुका है, परन्तु इसके बावजूद केन्द्र और राज्यों पर समय-समय पर काबिज रही सरकारों ने गरीब लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कोई योग्य प्रयास नहीं किए। स्कीमें तो गरीबों की भलाई के नाम पर कई चलाई गईं परन्तु उनमें से बहुत से पैसे राजनीतिक नेता और अफसरशाही खा गई और गरीबों के पल्ले कुछ नहीं पड़ा।

2-3 साल पहले केन्द्र की मोदी सरकार ने एक स्कीम शुरू करके महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस सिलैंडर और चूल्हे देने का प्रोग्राम शुरू किया था, परन्तु उसके नाम पर गरीब लोगों को बड़े स्तर पर उलटा लूटा गया क्योंकि तब गैस सिलैंडर की कीमत 430 रुपए थी। गरीब महिलाओं ने धड़ाधड़ सिलैंडर लेने के लिए फार्म भर दिए।  गैस सिलैंडर मुफ्त मुहैया करवा कर मोदी सरकार ने साथ ही गरीबों पर ‘मांझा’ चढ़ा दिया और प्रतिदिन गैस सिलैंडर की कीमतें बढ़ती गईं। 

बढ़ते-बढ़ते गैस सिलैंडर अब 1000 रुपए का हो गया है। जिन गरीबों ने मुफ्त स्कीम के नाम पर गैस सिलैंडर ले लिए थे, उनमें से अब आधों से 1000 रुपए भर कर सिलैंडर भरवाए नहीं जाते। गैस सिलैंडर की बढ़ी हुई कीमतों के कारण गरीबों के चूल्हों में फिर आग जलने लग पड़ी है। 

हीटर और रॉड लगाकर चला रहे काम
अनेकों लोग अपने घरों में हीटर चला रहे हैं और सब कुछ हीटरों पर ही करते हैं। पानी गर्म करने के लिए लोहे की रॉड का भी कई लोग उपयोग कर रहे हैं। मिट्टी के तेल से चलने वाले स्टोव अब कम दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि मिट्टी का तेल गरीबों को मिलता ही नहीं। 

सबसिडी आती है कम
गैस सिलैंडर भरवाने के बाद पहले जो सबसिडी खपतकारों के खातों में आती थी, वह भी अब कम ही आती है। कभी किसी के खाते में सबसिडी डाल दी जाती  है और कभी नहीं डाली जाती। इस बारे कोई भी मुलाजिम तसल्लीबख्श जवाब नहीं देता। 

गरीबों की भलाई के लिए नहीं सोचती सरकारें

पंजाब खेत मजदूर यूनियन के नेता तरसेम सिंह खुंडे हलाल, काका सिंह खुंडे हलाल, बाज सिंह भुट्टीवाला, कुलदीप सिंह लक्खेवाली, जगसीर सिंह लक्खेवाली, देहाती मजदूर सभा के नेता जगजीत सिंह जस्सेआना और हरजीत सिंह मदरसा आदि ने आरोप लगाया है कि गरीबों की भलाई के लिए सरकारों ने कभी नहीं सोचा और सिर्फ  वोटों के समय गरीबों को भरमाने के लिए राजनीतिज्ञ झूठे वायदे करके जाते हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई ने गरीबों का कचूमर निकाल दिया है। लोग मर रहे हैं, परन्तु सरकारों को कोई फिक्र नहीं व 
अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं।

लकडियों का किया जा रहा प्रबंध

गैस सिलैंडर भरवाने में असमर्थ अनेकों गरीब लोगों ने इस बार लकडिय़ों और नरमे की वनछटियों का प्रबंध कर लिया है। जहां खेतों में से सूखी लकडिय़ां इकट्ठी करके लाई जाती हैं, वहां वनछटियों की ट्रालियां भी अपने दरवाजों के आगे ङ्क्षफकवा ली हैं। गरीब लोगों का कहना है कि वे चूल्हों में आग जलाकर ही दाल, सब्जी और रोटी आदि बनाएंगे, क्योंकि गैस सिलैंडर तो अब उनकी पहुंच से बाहर हो गया है। लोगों द्वारा गोबर की पाथियां पथकर आग जलाई जा रही है। 


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