2019 का महासमर: कैसे आकार ले पाएगा महागठबंधन!

punjabkesari.in Monday, Dec 10, 2018 - 09:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनोज कुमार झा): 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने 2019 के ‘महासमर’ की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए 10 दिसम्बर को तेलगू देशम पार्टी के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी।कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को उम्मीद है विधानसभा चुनावों में भाजपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से विपक्षी नेताओं के लिए यह बैठक अहम मानी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के समर्थन से एच.डी. कुमारस्वामी की सरकार बनने के बाद से ही गठबंधन बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई थी। पहले यह बैठक 22 नवम्बर को ही होनी थी, पर विधानसभा चुनावों की वजह से टल गई।
कांग्रेस और विपक्षी दलों के लिए महागठबंधन अहम क्यों?

PunjabKesari2019 के ‘महासमर’ में जीत के लिए गठबंधन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं। अभी तक मोदी लहर और भाजपा की लगातार जीत के चलते विपक्ष पस्त पड़ा था, पर वि.स. चुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी होने से उसमें नया जोश भर गया है। आज महागठबंधन का बनना कांग्रेस और भाजपा विरोधी दलों के लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया है। यही कारण है कि कांग्रेस से दूरी रखने वाली पाॢटयां और उनके नेता गठबंधन के लिए एक हो रहे हैं। उदाहरण के लिए शरद पवार, ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल।

गठबंधन में बाधाएं
प्रमुख घटक दल कांग्रेस, लेकिन गठबंधन के नेता तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू। यह बड़ा विरोधाभास है, पर चंद्रबाबू को इसलिए सामने लाया जा रहा है क्योंकि राहुल गांधी को सर्वमान्य नेता के रूप में स्वीकृति नहीं मिल सकती। अभी वे किसी भी परीक्षा में सफल नहीं हुए हैं और न ही नेतृत्व के मामले में खरे उतरे हैं।

PunjabKesariगठबंधन बनाने के लिए साथ आ रही तृणमूल की ममता बनर्जी भाजपा पर लगातार हमलावर बनी रही हैं और उनमें दमखम भी है, पर नेतृत्व के सवाल पर वह किस हद तक गठबंधन में बनी रहेंगी, कहना मुश्किल है। दूसरा वह मनमाने फैसले लेने और किसी दूसरे की नहीं सुनने के लिए जानी जाती हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार, नैशनल कॉन्फ्रैंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, द्रमुक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, शरद यादव और मुलायम सिंह की फिलहाल कोई ताकत नहीं और ये पिटे हुए मोहरों के रूप में जाने जाते हैं। गठबंधन के निर्माण में ये क्या भूमिका निभा पाएंगे यह संदिग्ध है।बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन के लिए पहले उत्साह दिखाया था पर विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का साथ नहीं दिया।

PunjabKesariमाकपा महासचिव कांग्रेस के साथ गठबंधन राजनीति के जहां तरफदार हैं, वहीं प्रकाश करात किसी कीमत पर कांग्रेस के साथ आना नहीं चाहते। वह अकेले सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों से संघर्ष करना चाहते हैं। सबसे ज्यादा सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में मुलायम और लालू व उनके उत्तराधिकारियों की एक नहीं चल पा रही।
ऐसे में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांगे्रस जीत भी जाती है तो महागठबंधन बनाने में उसे नाकों चने चबाने पड़ेंगे क्योंकि क्षेत्रीय दलों और क्षत्रपों की कमर अब टूट चुकी है। 


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shukdev

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