राजधानी को नहीं मिल रही प्रदूषण से राहत,  आज भी हवा बेहद खतरनाक

punjabkesari.in Monday, Dec 10, 2018 - 11:13 AM (IST)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी को वायु प्रदूषण से राहत नहीं मिल रही है। बात करें आज की तो  दिल्ली-एनसीआर में आज भी वहा सांस लेने लायक नहीं है। बात करें आज की हवा की गुणवत्ता की तो आज हवा की गुणवत्ता खराब है। दिल्ली की हवा आज भी खराब श्रेणी में बनी हुई है। आज का AQI PM 2.5 और PM 10 Poor श्रेणी में है। रविवार को सुबह से वातावरण में धुंध रही, जिसका असर दोपहर बाद तक रहा। इस दौरान सांस की बीमारी से ग्रसित मरीजों को दिक्कतें भी महसूस हुईं।

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घर से बाहर निकलने वालों की आंखों में खुजली की भी शिकायत हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर 374 रहा, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। पड़ोसी शहर फरीदाबाद का स्तर 399 (बहुत खराब) और गुरुग्राम का स्तर 205 (खराब) रहा। गाजियाबाद, नोएडा व ग्रेटर नोएडा में सबसे खराब हवा रही। यहां तो हालात ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंच गई, इन तीनों शहरों में 400 से ऊपर एक्यूआई स्तर पहुंच गया।

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मौसम विभाग के अधिकारी के मुताबिक, सुबह 10 बजे पीएम 2.5 का औसत स्तर 232 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रहा, जबकि पीएम 10 का स्तर 376 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रहा। सुबह 8:30 बजे आद्र्रता का स्तर 90 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो कि प्रदूषक कणों के बिखराव के लिए अनूकूल नहीं है। अगले 3 दिनों तक ऐसी ही स्थिति बनी रहने की संभावना है। हवा की धीमी गति से प्रदूषण का स्तर नहीं घट रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक समिति बनाई है। इसने दिल्ली सरकार और अन्य राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि सड़कों की सफाई की जाए और पानी का छिड़काव कर प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए।

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पकी ईंट होगी प्रतिबंध! बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर केंद्र सरकार देशभर में निर्माण परियोजनाओं में पकी हुई ईंटों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को निर्देश दिया है, वे इस बाद को देखें कि क्या उसकी निर्माण परियोजनाओं में पकी ईंटों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है। सीपीडब्ल्यूडी ने अपने अधिकारियों से इस पर राय मांगी है और 11 दिसम्बर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। पर्यावरणविदों के मुताबिक ईंट-भट्टे से वायु प्रदूषण फैलता है, क्योंकि ईंटों के निर्माण में कोयले का इस्तेमाल होता है।


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Anil dev

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