लंबी लड़ाई के बाद हाईवे पर कब्जा लेने पहुंचा किसान, मचा हड़कंप

punjabkesari.in Sunday, Dec 09, 2018 - 03:46 PM (IST)

यमुनानगर(सुमित अोबरॉय): लगभग 7 दशक के बाद किसान ने एक लम्बी लड़ाई लड़ते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग को उखाडऩे की कार्रवाई शुरू करते ही अपनी लगभग 2 एकड़ जमीन पर कब्जा ले ही लिया। कोर्ट के आदेशों से किसान के हक में यह फैसला आया और हाईवे को यह जमीन छोड़कर यात्रियों की सुविधा के लिए वैकल्पिक रास्ते से वाहन गुजारने शुरू किए।लम्बे समय तक हाईवे को ट्रैक्टर-ट्राली लगाकर दोनों तरफ से बंद रखा गया और यातायात वैकल्पिक रास्ते से गुजरता रहा।

इस दौरान वाहन चालकों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा, क्योंकि वैकल्पिक रास्ते से हाईवे पर चढऩे के लिए तंग सड़क होने के कारण जाम की स्थिति भी बनी रही और लोगों की आपस में एक-दूसरे से कहासुनी भी हुई। कुछ समय इसी तरह यातायात चलने के बाद किसान व जिला प्रशासन में बातचीत हुई और किसान से प्रशासन ने आग्रह किया कि वह सोमवार तक इस सड़क को न उखाड़े और यातायात चलने दें। उम्मीद है कि सोमवार तक उसे सरकार की तरफ से इस जमीन का मुआवजा दे दिया जाए या फिर कोई और हल इसका निकाल लिया जाए। किसान ने भी जिला प्रशासन की बात को माना। कई घंटे के बाद यातायात एक बार फिर हाईवे से जाना शुरू हुआ।
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जे.सी.बी. से रोड उखाडऩे की कार्रवाई शुरू
जे.सी.बी. के माध्यम से रोड उखाड़े जाने के संबंध में जब किसान कश्मीर सिंह ढिल्लों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सुबह दोनों तरफ ट्रैक्टर-ट्राली लगाकर हाईवे को बंद कर दिया था और जे.सी.बी. बुलाकर सड़क उखाडऩे की कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। इसी बीच जिला उपायुक्त से हुई बात के अनुसार उन्होंने उपायुक्त गिरीश अरोड़ा के आश्वासन के बाद कार्य रोक दिया। गिरीश अरोड़ा ने उन्हें आश्वासन दिया कि सोमवार तक सरकार के साथ बातचीत करके वे इस दिशा में कोई न कोई हल जरूर निकाल लेंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की बात व उचित मुआवजा दिलवाने की बात कही।
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पहले से ही निर्धारित किया हुआ था प्रशासन ने वैकल्पिक रास्ता
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार किसान कश्मीर सिंह ढिल्लों व उनके परिजनों ने हरीपुर जट्टान व कैल में हाईवे के दोनों और ट्रैक्टर-ट्राली खड़े करके हाईवे को बंद कर दिया और वैकल्पिक रास्ते से जिसे प्रशासन ने पहले से ही निर्धारित किया हुआ था से वाहनों की आवाजाही शुरू हुई। इस संबंध में जिला प्रशासन ने ढिल्लों परिवार से बात की कि वे सोमवार तक रुक जाएं।
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हालांकि जिस समय ढिल्लों परिवार ने रास्ता बंद करके अपना कब्जा लिया और जे.सी.बी. मंगवाकर सड़क को उखाडऩा शुरू किया तब किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया, क्योंकि जिला प्रशासन पहले ही निशान लगाकर किसान को उसके हिस्से की जमीन के बारे में कब्जा करने की बात किसान को कह चुका था और कोर्ट के भी ऐसे ही आदेश थे।

यह है मामला
आजादी के बाद वर्ष-1951 में चंडीगढ़-हरिद्वार तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया गया था। यमुनानगर में गांव हरीपुर जट्टान व कैल के बीच ढिल्लों परिवार की लगभग 2 एकड़ जमीन थी। इस जमीन को बिना अधिग्रहण किए ही सरकार ने इस पर से हाईवे निकाल दिया और किसान को किसी प्रकार का कोई मुआवजा भी नहीं दिया।


इसके बाद ढिल्लों परिवार ने अपनी जमीन वापस लेने की लड़ाई शुरू कर दी और लगभग 50 वर्षों तक सरकार के साथ पत्राचार करते हुए यह लड़ाई लड़ी और जब बात न बनी तो यह मामला कोर्ट में गया। करीब 2 दशक तक कोर्ट में यह लड़ाई लड़ी गई है और आखिरकार कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनते हुए किसान परिवार के हक में यह फैसला देते हुए आदेश जारी किए गए किसान सड़क को उखाड़कर अपने हिस्से की जमीन अपने कब्जे में ले।


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Deepak Paul

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