राष्ट्रीय लोक अदालत : 1737 में से 889 का निपटारा, पौने 2 करोड़ जुर्माना

punjabkesari.in Sunday, Dec 09, 2018 - 01:19 PM (IST)

 

फतेहाबाद(ब्यूरो): लोक अदालत विवादों को निपटाने का वैकल्पिक साधन है। लोक अदालत बैंच सभी स्तरों जैसे सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय स्तर पर 2 पक्षों के मध्य विवाद को आपसी सहमति से निपटाने के लिए गठित की जाती है।यह जानकारी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के चेयरमैन व जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए.के. जैन ने शनिवार को न्यायिक परिसर फतेहाबाद में आयोजित लोक अदालत के दौरान मामलों की सुनवाई करते हुए अधिवक्ताओं व मौजूद लोगों को दी। उपमंडल टोहाना व रतिया कोर्टों सहित जिला की 12 विभिन्न कोर्टों में लोक अदालत के तहत मामलों की सुनवाई की गई।

जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण फतेहाबाद की ओर से शनिवार को जिला में 5वीं राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की गई, जिसमें फौजदारी प्रकरण, एन.आई. एक्ट 138, मोटर वाहन दुर्घटना दावा (एम.ए.सी.टी.), ए.आई.आर., ट्रांसपोर्ट, पारिवारिक विवाद, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, किराया, बैंक रिकवरी मामले, राजस्व, बिजली चोरी व पानी बिल सहित विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई की गई। उन्होंने कहा कि नागरिकों को सुलभ व सस्ता न्याय दिलाने के उद्देश्य से ही प्राधिकरण के तत्वावधान में समय-समय पर लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। जानिए क्या है लोक अदालत प्राधिकरण के चेयरमैन व जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए.के. जैन ने कहा कि लोक अदालत का अर्थ है, लोगों का न्यायालय।

लोक अदालतें ऐसे मंच या फोरम हंै, जहां न्यायालय में लंबित या मुकद्दमे के रूप में दाखिल नहीं किए गए मामलों का सौहाद्र्र पूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है। यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है। लोक अदालत में विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है।
इनकी कोर्टों में लगी लोक अदालत सी.जे.एम. राहुल बिश्नोई ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत न्यायिक परिसर फतेहाबाद में डिस्ट्रिक्ट एंड सैशन जज ए.के. जैन, ए.डी.एस.जे. संदीप गर्ग, ए.डी.एस.जे. राजेंद्र सिंह ढांडा, ए.डी.एस.जे. आरती सिंह, ए.सी.जे.एम. विकास गुप्ता, सी.जे.एम. अर्चना यादव, जे.एम.आई.सी. जतिन गर्ग, जे.एम.आई.सी. सुमित तुॢकया सहित उपमंडल टोहाना में एस.डी.जे.एम. विनय शर्मा, जे.एम.आई.सी. सुमित कालोन, जे.एम.आई.सी. आजाद सिंह तथा उपमंडल रतिया में एस.डी.जे.एम. अशोक मान की कोर्ट में विभिन्न मामलों की सुनवाई की गई।

कोई कोर्ट फीस नहीं लगती प्राधिकरण के चेयरमैन ने कहा कि लोक अदालतों में किसी भी प्रकार की कोर्ट फीस नहीं लगती। यदि न्यायालय में लंबित मुकद्दमे में कोर्ट फीस जमा करवा दी गई हो तो लोक अदालत में विवाद का निपटारा हो जाने के बाद फीस वापस कर दी जाती है। लोक अदालतों में हुए फैसला दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी है, इसके विरुद्ध अपील नहीं की जाती है। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राहुल बिश्नोई ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से सभी पक्षकारों को आपसी विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे का अवसर प्रदान किया जाता है।

उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को लोक अदालत का महत्व समझना चाहिए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि लोगों को न्यायालय में लंबित अपने विवादों का निपटारा लोक अदालतों के माध्यम से करवाना चाहिए, ताकि उनके समय और धन की बचत हो सके। सी.जे.एम. ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न कोर्टों में कुल 1737 मामलों की सुनवाई की गई, जिसमें से 889 मामलों का निपटारा आपसी सहमति के आधार पर किया तथा विभिन्न मामलों की सुनवाई करते हुए एक करोड़ 63 लाख 77 हजार 566 रुपए की राशि जुर्माना व अवार्ड के रूप में पास की गई।



उन्होंने बताया कि लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन के 717 मामलों में से 379 का निपटारा किया गया, जिसमें से 25 लाख 99 हजार 107 रुपए की राशि जुर्माना व अवार्ड के रूप में पास की गई। इसी प्रकार से कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई करते हुए 1020 मामलों में से 510 मामलों का निपटारा किया गया और एक करोड़ 37 लाख 78 हजार 459 रुपए की राशि जुर्माना व अवार्ड के रूप में पास की गई।


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Deepak Paul

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