प्रॉपर्टी की ज्वाइंट ओनरशिप पर कैसे होगी ‘मैक्सिमम’ टैक्स बचत

punjabkesari.in Saturday, Dec 08, 2018 - 05:22 PM (IST)

नई दिल्लीः घर खरीदने के लिए होम लोन का सहारा लेना आजकल आम बात है, क्योंकि होम लोन ना सिर्फ आपके घर का सपना पूरा करने में मदद करता है, बल्कि इनकम के एक हिस्से पर टैक्स छूट भी दिलाता है। अगर थोड़ी समझदारी से काम लिया जाए और इनकम टैक्स कानून के नियमों का ख्याल रखा जाए तो टैक्स छूट में अच्छी-खासी बढ़त हासिल की जा सकती है। इसके लिए आपको अपनी प्रॉपर्टी के साथ दो चीजें जोड़नी पड़ेंगी- ज्वॉइंट ओनरशिप और ज्वॉइंट होम लोन।

क्या होती है ज्वॉइंट ओनरशिप?
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 26 कहता है कि अगर किसी प्रॉपर्टी पर दो या दो से ज्यादा लोगों का मालिकाना हक है और प्रॉपर्टी में उनकी हिस्सेदारी (शेयर) सुनिश्चित की जा सकती है, तो वो सभी लोग ज्वाइंट ओनर या को-ओनर होंगे। उस प्रॉपर्टी से जुड़े टैक्स के नियम भी सभी को-ओनर्स पर बराबरी से लागू होंगे। यह बात याद रखनी होगी कि सभी को-ओनर्स के नाम प्रॉपर्टी के कागजात पर होने चाहिए, साथ ही उस प्रॉपर्टी की खरीदारी में उनका योगदान भी स्पष्ट होना चाहिए। को-ओनर पति-पत्नी, बच्चे, माता-पिता या भाई-बहन में से कोई भी हो सकता है।

ज्वॉइंट होम लोन जरूरी क्यों?
इनकम टैक्स की छूट के लिए जरूरी है कि को-ओनर होम लोन के को-बॉरोअर या ज्वॉइंट एप्लिकेंट भी हों। उनका नाम होम लोन एग्रीमेंट में होना चाहिए। ये याद रखें कि अगर प्रॉपर्टी के को-ओनर होम लोन के ज्वॉइंट बॉरोअर नहीं हैं तो उन्हें टैक्स बेनेफिट नहीं मिलेंगे। यही नहीं, टैक्स बेनेफिट के लिए को-बॉरोअर को प्रॉपर्टी की खरीद की पेमेंट में भी भागीदार होना जरूरी है। अगर को-बॉरोअर के बैंक खाते से घर के डाउन पेमेंट या होम लोन की ईएमआई का भुगतान नहीं होता है तो उसे टैक्स बेनेफिट नहीं मिलेंगे।


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jyoti choudhary

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