Kundli Tv- शनि देव को सरसों का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है

punjabkesari.in Friday, Dec 07, 2018 - 02:36 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए मंदिर के बाहर लंबी लाइन देखने को मिलती है। क्या आप यह जानते हैं कि शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा कब से शुरु हुई।
PunjabKesari
प्राचीन कथा के अनुसार रावण ने शनिदेव को कैद कर रखा था। जब हनुमान जी देवी सीता को ढूंढते हुए लंका गए तो उन्होंने वहां शनिदेव को रावण की कैद में देखा। रामभक्त हनुमान को देखकर शनिदेव ने उन्हें रावण की कैद से आजाद करवाने की प्रार्थना की। शनिदेव की प्रार्थना सुनकर हनुमान जी ने उन्हें लंका से कहीं दूर फेंक दिया ताकि शनिदेव कहीं सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं। जब हनुमान जी ने शनिदेव को फेंका तो उन्हें बहुत सारे घाव हो गए। शनिदेव की पीड़ा को देखते हुए हनुमान जी ने उनके घावों पर सरसों का तेल लगाया। जिससे उन्हें काफी आराम मिला और कुछ ही देर में उनका दर्द खत्म हो गया। तब से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा शुरु हो गई।
PunjabKesari
शास्त्रों में शनि ग्रह को अति क्रूर कहा गया है। अशुभ शनि व्यक्ति का जीवन दुखों व असफलताओं से भर देता है। शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए हनुमान साधना को श्रेष्ठ कहा गया है। लोक कथाओं के अनुसार रुद्रावतार हनुमान जी श्री राम के ध्यान में लीन थे, तभी घमंड से भरे शनि देव ने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा।
PunjabKesari
शनि की चुनौती का विनम्रता से जवाब देते हुए हनुमान जी ने श्री राम की साधना में व्यस्त होने का तर्क दिया। जिससे शनि क्रोधित होकर हनुमान से युद्ध करने की जिद पर अड़ गए। इस पर हनुमान जी ने शनि देव को अपनी पूंछ में लपेटकर बांध दिया। शनि के प्रहार करने पर पवन पुत्र ने शनिदेव को पत्थरों पर पटक कर घायल करके उन्हें परास्त किया। शनिदेव ने हनुमान जी से माफी मांग कर प्रणाम किया। हनुमान जी ने शनिदेव का दर्द दूर करने के लिए उनके घावों पर तेल लगाया। शनि ने हनुमान जी को उनके भक्त को परेशान न करने का वचन दिया।
PunjabKesari
क्या सच में शास्त्रों में तलाक़ नाम का शब्द है ?(video)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News