प्राकृतिक आपदाओं को रोकने की ‘अंतरराष्ट्रीय पहल’

punjabkesari.in Friday, Dec 07, 2018 - 04:48 AM (IST)

दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी वाले 8 पड़ोसी देश भूकम्प, बाढ़ तथा अन्य प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के बेहतरीन प्रबंधन, राहत, बचाव एवं पुनर्वास कार्यों में वैज्ञानिक तकनीक, मानवीय क्षमताओं, नवीनतम मशीनरी एवं उपकरणों की नवीनतम जानकारी सांझा करने, अपने अनुभवों का फायदा क्षेत्र के पड़ोसी देशों को प्रदान करने की मंशा से आगामी 22 से 24 फरवरी को नई दिल्ली में मंथन करेंगे। 

शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ) के तत्वावधान में भारत, कजाखिस्तान, चीन, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, किॢगज गणराज्य  तथा उज्बेकिस्तान देशों के प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में पिछले वर्षों के दौरान आई प्राकृतिक आपदाओं के मुख्य कारणों तथा उनके प्रबंधन के अनुभव सांझा करेंगे, ताकि क्षेत्र के सभी लोग आपस में एक-दूसरे के अनुभवों से सीख कर अपने क्षेत्रों में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं में जान-माल की क्षति को रोक सकें। 

3 लाख लोग जान गंवा चुके हैं
वर्ष 1996 से वर्ष 2015 तक इन देशों में प्राकृतिक आपदाओं में 3,00,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ये सभी देश प्राकृतिक भूकम्प, बाढ़, तूफान, भूस्खलन तथा महामारियों की चपेट में अक्सर आते हैं। इस क्षेत्र में मौसम में बदलाव की वजह से जल तथा मौसम संबंधी जोखिम बढऩे की आशंका है। आजकल विश्व एक-दूसरे से समीपता से जुड़ा है तथा विश्व के एक भाग में प्राकृतिक आपदा का दूसरे भाग पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। 

इन देशों में विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है तथा अगर सदस्य देश आपदाओं के प्रभाव को रोकने में कामयाब हो जाते हैं तो इसका विश्वव्यापी प्रभाव पड़ेगा। विश्व समुदाय द्वारा प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एस.सी.ओ. सदस्य देशों की  9वीं बैठक 23-25 अगस्त 2017 को किॢगस्तान में हुई थी, जिसमें भारतीय दल का नेतृत्व करते हुए गृह मंत्री माननीय राजनाथ सिंह ने 10वीं बैठक भारत में आयोजित करने की पेशकश की थी, जिसे सभी देशों ने सर्वसम्मान से स्वीकार कर लिया। 

नई दिल्ली के एक होटल में नवम्बर माह में एस.सी.ओ. देशों की 2 दिवसीय प्रारम्भिक बैठक में आगामी वर्षों के दौरान क्लाईमेट चेंज, वनों में कमी तथा अन्य कारणों से आने वाली सम्भावित प्राकृतिक आपदाओं पर विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की। इस मीटिंग में क्षेत्र में हाइड्रो मैट्रोलोजिकल आपदाओं के बारे में विशेष रूप से चर्चा की गई क्योंकि एस.सी.ओ. संगठन के देश भौगोलिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं तथा एक देश में होने वाली प्राकृतिक आपदा से पड़ोसी देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। 

चुनौतियां एक जैसी
दुनिया के सभी देशों में प्राकृतिक आपदा की चुनौतियां लगभग एक जैसी ही हैं तथा अगर हम प्राकृतिक आपदाओं के नुक्सान तथा प्रभाव को कम करने में सफल हो जाते हैं तो इसका सीधा लाभ क्षेत्र के पड़ोसी देशों को मिलता है तथा इसके विश्वव्यापी लाभ होते हैं। अक्सर देखा गया है कि पड़ोसी देशों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप लगभग एक समान रहता है। जैसे नेपाल की बाढ़ का असर सीधे तौर पर बिहार में पड़ता है तथा एक देश में सूखे का असर भी पड़ोसी देश में महसूस किया जाता है। इसलिए अगर सभी पड़ोसी देश प्राकृतिक आपदाओं में अपने स्त्रोतों तथा मानवशक्ति का सांझा उपयोग करेंगे तो इसका लाभ सभी को मिलेगा। 

इस मीटिंग में प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी विभिन्न प्रशासनिक तथा प्रचालित योजनाओं के पहलुओं के बारे में विशेष गहन चिन्तन किया जाएगा। रूस तथा चीन पड़ोसी देशों में आपसी समन्वय को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस समय सभी सदस्य देशों के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों तथा जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले बचाव दल के सदस्यों की अल्पावधि प्रशिक्षण कार्य योजना तथा विचार सांझा करने की जरूरत है। इस मीटिंग में सभी देशों के आपदा प्रशिक्षणों के अनुभवों को सांझा करने पर भी बल दिया जाएगा ताकि क्षेत्रीय विशेषज्ञता का वैश्विक स्तर तक लाभ लिया जा सके। 

इस बैठक में सभी विकास योजनाओं को आपदा मुक्त बनाए रखने पर चर्चा होगी तथा सदस्य देशों के बीच आपदा प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संबंधित सरकारों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर व सहभागिता बढ़ाकर प्रयासों को संकलित करके क्षेत्रीय सहयोग को संस्थागत स्वरूप दिया जाएगा। इस बैठक में सदस्य देशों में प्राकृतिक आपदाओं में समाधानों तथा निपुणता को सांझा करके आपदाओं से लडऩे पर विचार किया जाएगा। 

भारत ने 2.5 अरब रुपए आरक्षित रखे
वर्तमान में भारत सरकार ने लगभग 2.5 अरब रुपए  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन रिजर्व के तौर पर रखे हैं जोकि 4,00,000 आपदा पीड़ितों को राहत एवं सहायता राशि प्रदान करने में उपयोग किए जाएंगे। एन.डी.आर.एफ. ने पिछले कुछ वर्षों में भूकम्प, बाढ़, चक्रवात, रेल दुर्घटनाओं सहित अनेक प्राकृतिक आपदाओं का सफलतापूर्वक सामना किया है। पिछले 5 वर्षों के दौरान एन.डी.आर.एफ. ने देश में आपदा प्रबंधन के 1647 सफल आप्रेशन किए हैं। इन आप्रेशंस में 54,800 लोगों को बचाया गया जबकि प्राकृतिक आपदाओं में फंसे 3,30,619 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। 

वर्ष 2006 में एन.डी.आर.एफ. के गठन के बाद अब तक संगठन ने 2371 आप्रेशंस किए हैं जिनमें बल की 4017 टीमों को देश भर में तैनात किया गया। विभिन्न आप्रेशनों में एन.डी.आर.एफ. ने 1,15,724 व्यक्तियों की जान बचाई, 5,81,885 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया तथा 3571 मृतक व्यक्तियों के पार्थिव शरीरों को मलबे आदि से निकाला। एन.डी.आर.एफ. जमीन तथा पानी के बीच चलने वाले वाहन प्राप्त करने तथा अकादमी में स्टेट आफ आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने को कार्यरत है।(लेखक भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी एवं एन.डी.आर.एफ. के महानिदेशक हैं।)-संजय कुमार


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Pardeep

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