देश में ‘हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे’ की चंद मिसालें

punjabkesari.in Friday, Dec 07, 2018 - 03:26 AM (IST)

इन दिनों जबकि देश में संवेदनशील मुद्दों को लेकर वातावरण विषाक्त बना हुआ है, स्वार्थी तत्वों द्वारा साम्प्रदायिक वातावरण खराब करने के प्रयासों के बावजूद देश में हिन्दुओं और मुसलमानों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार बार-बार गवाही दे रहा है कि हमारे भाईचारे के बंधन अटूट हैं :

गाजियाबाद के मसूरी इलाके में निर्मल कौर नामक एक वृद्ध सिख महिला का निधन हो गया तो उसके अंतिम संस्कार में साम्प्रदायिक सौहार्द का अनुकरणीय दृश्य देखने को मिला। हिन्दू और मुसलमानों ने उनकी अर्थी को कंधा देकर श्मशानघाट पहुंचाया। अंतिम संस्कार में सैंकड़ों मुसलमान शामिल हुए और हिन्दुओं व मुसलमानों ने वृद्धा का पूरे विधि-विधान के साथ मिल कर अंतिम संस्कार किया। 

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर हिन्दू संगठनों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं ने भी आवाज उठानी शुरू कर दी है। गत दिवस मेरठ में मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग ने कहा कि देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा कायम रखने के लिए राम मंदिर का निर्माण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह हमारी सनातन संस्कृति का प्रतीक है। हम तन-मन-धन से मंदिर निर्माण में सहयोग करेंगी। ताज नगरी आगरा में ऐसे कई स्थान हैं जहां सर्वधर्म समाज पहुंचता है। एक ओर पूजा तो दूसरी ओर जिआरत। सामने आने पर राम-राम और सलाम भी प्रेम भाव से होता है। 

आगरा कैंट स्थित रेलवे कालोनी में श्री बगलामुखी मंदिर कौमी एकता की पहचान है। यहां काबे के नक्शे से लेकर सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मंदिर के एक कोने में पूजा और दूसरे कोने में दुआ होती है। हाल ही में यहां कौमी एकता सप्ताह का आयोजन किया गया। कोने में किस्मत अली शाह बाबा का आला है। यहां देवी-देवताओं की लगभग 500 मूर्तियां हैं। मंदिर के पुजारी प्रदीप कुमार सेठी के अनुसार 70 वर्ष पहले यह मंदिर बगलामुखी का ही था। अब रमजान में भी अनगिनत मुस्लिम भक्त यहां आते हैं। मंगलवार, वीरवार और शनिवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। 

न्यू आगरा की सरताज हजरत सैय्यदना शाह अमीर अबुलउल्ला की दरगाह में भी वर्षों से सर्वधर्म के लोग अपनी मन्नतें लेकर पहुंच रहे हैं। यहां उर्स के दौरान सर्वधर्म गुरु सम्मेलन रखा जाता है। आगरा में ही दरगाह मरकज साबरी में रोजाना बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोग पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश में बागपत के बड़ौत में हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल देखने को मिली। यहां 2 मुसलमान भाइयों ने अपनी मुंह बोली हिन्दू बहन मनोरमा के बेटे की शादी के दौरान मामा का दायित्व निभा कर सौहार्द की नई मिसाल पेश की। 

मनोरमा 20 वर्ष से वकील अली खान के घर में रहती है। वकील अली खान और डा. शौकत अली रक्षाबंधन पर अपनी मुंहबोली बहन मनोरमा से राखी भी बंधवाते हैं और भाईदूज पर दोनों अपनी बहन के यहां जाकर सिंधारा देकर अपना दायित्व निभाते आ रहे हैं। और अब उत्तर प्रदेश में बुलंद शहर जिले के जैनपुर गांव में 2 दिसम्बर को जाम में फंसे मुस्लिम समुदाय के लोगों के नमाज पढऩे के लिए हिन्दू समुदाय के लोगों ने अपने शिव मंदिर का दरवाजा खोल दिया। 

मुस्लिम भाइयों के वजू करने के लिए तत्काल पानी का प्रबंध किया गया। इसके बाद मुस्लिम भाइयों ने शिव मंदिर में नमाज पढ़ी। नमाज के दौरान इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो। नमाज के बाद सभी को जलपान करवा कर विदा किया गया। हमारे देश में जो भाईचारा है वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है और भाईचारे के उक्त उदाहरण अकाट्य प्रमाण हैं कि समाज को धर्म के आधार पर बांटने की स्वार्थी तत्वों की कोशिशें कभी भी कामयाब नहीं हो सकतीं। अंतत: भारत का ‘सर्वधर्म समभाव’ का स्वरूप इसी तरह कायम रहेगा।—विजय कुमार 


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Pardeep

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