Kundli Tv- इस जगह पर टूटा था गणपति का दांत

punjabkesari.in Wednesday, Dec 05, 2018 - 03:57 PM (IST)

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प्रथम पूज्य श्री गणेश के बहुत सारे मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। आज हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो प्रकृति की गोद में बसा है। छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिला से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर ढोलकल नामक स्थान पर भगवान गणेश की एक प्रतिमा है। सैकड़ों वर्ष पुरानी श्री गणेश जी की ये प्रतिमा ढोलकल की पहाड़ियों पर 3000 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इतनी ऊचांई पर स्थापित ये प्रतिमा आश्चर्य का विषय है। यहां पर पहुंचना बहुत ही मुश्किल है।
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पुरात्वविदों का मानना है कि 10वीं शताब्दी में नागवंशियों ने गणेश जी की यह प्रतिमा दंतेवाड़ा स्थान की रक्षा के लिए स्थापित की थी। गणेश जी की ग्रेनाइट पत्थर से बनी प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 6 फीट और चौड़ाई 21 फीट है। वास्तुकला की दृष्टि से यह बहुत सुंदर है। इस प्रतिमा के ऊपर के दाहिने हाथ में फरसा अौर बाएं में टूटा हुआ एक दांत है। उसी प्रकार नीचे वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला एवं बाएं में मोदक है। पुरात्वविदों के अनुसार ऐसी प्रतिमा बस्तर इलाके में कहीं नहीं मिलती।
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दंतेश के इलाके को दंतोवाड़ा कहते हैं। यहां एक कैलाश गुफा भी स्थित है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर श्री गणेश अौर परशुराम के मध्य युद्ध हुआ था। इस दौरान श्री गणेश का एक दांत टूट गया और वो एकदंत कहलाए। दंतेवाड़ा से ढोलकल की अोर जाते समय रास्ते में एक ग्राम परस पाल की प्राप्ति होती है जिसे परशुराम के नाम से जानते हैं। इसके बाद ग्राम कोतवाल पारा आता है। कोतवाल का अर्थ रक्षक होता है।
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माना जाता है कि नागवंशी शासकों ने ऊंचे पर्वतों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की थी। श्री गणेश जी के पेट पर एक नाग का निशान है, जिसके बारे में कहा जाता हैं कि यह चिन्ह नागवंशियों ने बनवाया था। कला की दृष्टि से यह प्रतिमा 10 या 11वीं शताब्दी की है।
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Niyati Bhandari

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