Kundli Tv- गरूड़ पुराण: मरने वाले के पास ज़रूर रख दें ये, सीधा होगी स्वर्ग प्राप्ति

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 03:47 PM (IST)

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गरूड़ पुराण, हिंदू धर्म में इसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गरूड़ पुराण वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है। इसके साथ ही सनातन धर्म में इस ग्रंथ को मृत्यु के बाद सद्गति यानि मोक्ष प्रदान करने वाला बताया जाता है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं। इसमें वर्णित एेसी बहुत सी बातें हैं, जिन्हें जानना इंसान के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। लेकिन आज कल लोगों के पास इतना समय कहां कि वो टाईम निकाल कर गरूड़ पुराण पढ़े और इसमें लिखी बातों को अपने जीवन में अपना सके। तो अगर आप भी एेसे लोगों में से एक हैं तो घबराईए मत क्योंकि हम आपको आज गरूड़ पुराण में बताई एक एेसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर आप शायद दंग रह जाएं कि क्या एेसा भी होता है।


यूं तो हम में से कोई नहीं जानता कि मरने के बाद क्या होता है लेकिन ये तो सब जानते हैं कि व्यक्ति अपने जीवन में जो अच्छे-बुरे कर्म करता हैं उनका फल उसे भोगना ही पड़ता है। आज हम आपको मृत्यु से ही संबंधित बात बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार  अगर मरने वाले के अंतिम समय में उसके पास कुछ खास चीजें रखी हों तो यमराज आपको माफ़ कर देता है। 


आइए जानते क्या है वे चीज़ें-
तुलसी
हिंदू धर्म में तुलसी को कितना महत्व प्राप्त है, इससे कोई अंजान नहीं है। इसलिए कहा जाता है कि मरने वाले के सिर के पास अगर तुलसी का पौधा रखा हो तो मनुष्य की आत्मा शरीर त्याग के बाद यमदंड से बच जाती है। अगर तुलसी की पत्तियां मरते हुए व्यक्ति के माथे पर रखी जाएं तो भी लाभ होता है।

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गंगाजल
हिंदू धर्म और सनातन धर्म में मृत्यु के समय गंगाजल को मुख में रखते हुए प्राण त्यागने का विधान बताया गया है। गंगाजल शरीर को पवित्र करता है और जब कोई व्यक्ति शुद्धता के साथ शरीर का त्याग करता है तो उसे भी यमलोग में दंड का पात्र नहीं बनना पड़ता। यही कारण है कि जीवन के आखिरी पलों में गंगाजल के साथ तुलसी दल दिया जाता है।

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श्री भागवत
एेसा कहा जाता है कि मृत्यु के आखिरी पलों में श्री भागवत या अपने धर्मग्रंथ का पाठ करने से व्यक्ति को सभी सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है। कहते हैं इससे व्यक्ति को यमदंड का सामना किए बिना स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पुनर्जन्म प्राप्त होता है। 

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अच्छी सोच
शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के समीप पहुंच चुके व्यक्ति तथा इसके आसपास रहने वाले सगे-संबंधियों को भी उसकी आत्मा के संबंध में अच्छे विचार रखने चाहिए। व्यक्ति को मरते हुए किसी भी प्रकार का क्रोध या संताप नहीं रखना चाहिए। मरते समय होंठों पर सिर्फ दुआ और आशीर्वाद होने चाहिए।
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Jyoti

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