Kundli Tv- ये हैं दुनिया के सबसे बड़े और प्रसिद्ध सूर्य मंदिर

punjabkesari.in Sunday, Nov 25, 2018 - 04:21 PM (IST)

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हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं में सूर्य देव को भी प्रमुख देवता माना गया है। देवता होने के साथ-साथ ये एक ग्रह भी हैं। ग्रंथो के अनुसार हिंदू धर्म में पंच देवता हैं, जिसमें गणेश जी , शिव जी, विष्णु जी, मां दुर्गा के साथ-साथ सूर्यदेव शामिल हैं। ज्योतिष में कहा गया है रोज़ सुबह इनकी पूजा करनी चाहिए। सूर्यदेव के दर्शन करने से कुंडली के सूर्य और अन्य ग्रहों के भी दोष दूर होते हैं।
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लोग इनकी कृपा पाने के लिए इनकी आराधना करते हैं। अगर आपके घर में भी परेशानियां आ रही है तो आप भी इनकी पूजा कर मुश्किलों से छुटकारा पा सकते हैं। इनके मंदिर में पूजा करके हम सूर्य भगवान को खुश कर सकते हैं। आज हम आपको सूर्यदेव के 3 ऐसे सबसे प्राचीन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाकर आप इनकी कृपा आसानी से पा सकते हैं। पुरे भारतवर्ष में सुर्यदेव के 3 सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर ये हैं। आइए जानते हैं इन खास मंदिरों के बारे में-
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कोणार्क मंदिर- 
कोणार्क सुर्य मंदिर उड़ीसा में कोणार्क नामक नगर में स्थित है। इस मंदिर को रथ के आकार में बनाया गया है, जिसके बारह पहिए हैं। रथ खींचने के लिए 7 घोड़े भी निर्मित है। ये मंदिर देखने में बेहद सुंदर है। करीब आठ सौ साल पुराना इस मंदिर के निर्माण में 12 साल लगे थे। इस भवन को अंग्रेजी में ब्लैक पैगोडा भी कहा जाता है। दुनियाभर से लोग इस भव्य परिसर को देखने कोणार्क आते हैं। 
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मार्तंड मंदिर- 
मार्तंड मंदिर कश्मीर की खुबसुरत वादियों में स्थित है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 7वीं और 8वीं सदी के दौरान हुआ था। इसकी उंचाई 20 फुट है। सुरज की पहली किरण के साथ ही यहां पूजा शुरू हो जाती है। भवन को चारों तरफ पहाड़िया  ही पहाड़िया दिखाई पड़ती है। जो कि दर्शको का मन लुभाती है। बहुत पुराना होने के कारण ये मंदिर खंडहर हो चुका है। लेकिन आज भी दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने खींचे चले आते हैं। मंदिर से कश्मीर की घाटी का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। मार्तण्ड मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। 
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सूर्य मंदिर, मोढ़ेरा-
यह मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था।  संबंध में एक सोलंकी सूर्यवंशी थे, वे सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए उन्होंने अपने कुल देव की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया और इस  विराट मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर की जुड़ाई के लिए कहीं भी चुने का प्रयोग नहीं किया गया है। इसका निर्माण इस तरह से किया गया है जिससे सुर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह पर पड़ती है।
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Jyoti

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