Kundli Tv- क्या आप जानते हैं पानी से कभी न भरने वाले इस चमत्कारिक घड़े के बारे में?
punjabkesari.in Saturday, Nov 24, 2018 - 04:41 PM (IST)
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भारत की धरती को देवी-देवताओं की धरती कहा जाता है। माना जाता है कि यहां कण-कण में भगवान विराजमान हैं। पूरे हिंदुस्तान में राजस्थान एक ऐसी जगह है जहां धार्मिक स्थलों के साथ-साथ कई पर्यटक स्थल भी मौज़ूद है। आज हम आपको शीतला माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में बहुत ही चमत्कारी है। आइए जानते हैं इस मंदिर के दिलचस्प रहस्य के बारे में-
हम बात कर रहे हैं शीतला माता के प्रसिद्ध धाम के बारे में जो राजस्थान के पाली ज़िले में स्थित है। लगभग 800 साल पुराना ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। लोग यहां आकर श्रद्धा से माता के चरणों में नमन करते हैं। पूरा साल यहां भक्तों का आना-जाना लगा ही रहता है।
इस मंदिर में हैरान कर देने वाली बात ये है कि यहां स्थित एक आधा फीट गहरा और चोड़ा घड़ा है, जिसे साल में सिर्फ़ दो बार खोला जाता है। माना जाता है ये घड़ा कभी नहीं भरता। आज तक इसमें करीब 50 लाख लीटर पानी डल चुका है। लेकिन ये घड़ा अब तक नहीं भरा। यहां आने वाले कई श्रद्धालु यह देख हैरान रह जाते हैं और इसे माता का चमत्कार समझते हैं। यहां तक कि वैज्ञानिक भी इस बात से हैरान है। वैज्ञानिकों का कहना कि आज तक उन्होंने इस घड़े के ऊपर बहुत रिसर्च किए हैं लेकिन आजतक इस बात का पता नहीं लगा पाए कि आखिर घड़े में डाला गया पानी जाता कहां है।
लोक मान्यता के अनुसार ये पानी राक्षस पीता है। अंत में पुजारी दूध के बर्तन को माता के चरणों से लगाकर घड़े में डालते हैं। इसके बाद इसे बंद कर दिया जाता है।
राक्षस को लेकर भी एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार आठ सौ साल पहले बाबरा नाम का राक्षस था। जब भी किसी ब्राह्मण के घर शादी होती यह राक्षस दूल्हे को मार देता था। राक्षस से परेशान आकर ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या करनी शुरू कर दी। इसके बाद शीतला माता एक ब्राह्मण के सपने में आई। मां ने कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस का वध करेगी।
शादी के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में वहां आई। जब राक्षस वहां आया मां ने अपने घुटनों से उसको दबोच लिया। इस दौरान जब राक्षस को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफ़ी मांगी और माता रानी के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया। उसे शीतला माता ने वरदान मांगने को कहा। राक्षस ने वरदान के रूप में मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है, इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाया जाए। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया, तभी से यह पंरापरा चली आ रही है।
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