विधानसभा चुनाव: राजस्थान में गूंज रहा ''मोदी से बैर नहीं, वसुंधरा की खैर नहीं''
punjabkesari.in Wednesday, Nov 21, 2018 - 06:36 PM (IST)
जयपुर: राजस्थान में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी के लिए ज्वलंत मुद्दों पर सरकार की कथित विफलता और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लोगों की नाराजगी के बीच अपना गढ़ बचाना बड़ी चुनौती है। राज्य के स्तर पर लोगों की नाराजगी किसानों की समस्या, सरकारी कर्मचारियों की अनदेखी, सरकार की वादा खिलाफी, महंगाई, बेरोजगारी, बजरी की किल्लत, सरकारी कामों के लिये रिश्वत देने, निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी और मुख्यमंत्री के रवैये को लेकर है।
वसुंधरा से नाराजगी पड़ सकती है भारी
अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम पर भी मोदी सरकार के रुख से लोग खासे खफा हैं। काम धंधे वाले लोग नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों को लेकर भी नाराज हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लोगों की नाराजगी केवल शहरों तक ही सीमित नहीं है, गांव के लोग भी उनके खिलाफ लामबंद हैं और आलम यह है कि जहां शहर के लोग कह रहे हैं, ‘मोदी से बैर नहीं, वसुंधरा की खैर नहीं’, वहीं गांव के लोग कह रहे हैं, ‘इस परमेसरी (वसुंधरा राजे) को तो हराना से’।
किसानों की समस्याओं से मूंदी आंख
राजधानी जयपुर में सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी बी एस शर्मा का कहना है कि पार्टी सत्ता में आने से पहले के वादों को निभाने में तो विफल रही है, उस पर मुख्यमंत्री का रवैया ‘एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा’ जैसा है। उन्होंने कहा कि एक तो मुख्यमंत्री तक लोगों की पहुंच नहीं है, दूसरे वह समस्याओं का समाधान कागजों पर करने में ज्यादा विश्वास रखती हैं। अजमेर जिले की जसाखेडी ढाणी से अपनी समस्या लेकर आये किसान प्रताप सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री ने किसानों की समस्याओं से आंख मूंद रखी हैं।
लोगों को मिल रहे झूठे वादे
ऑटो चालक रामरत्न ने कहा कि भाजपा सरकार ने निचले तबकों की कमर तोड़ दी है। कुछ लोगों ने स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाया कि वह उनके मकानों को नियमित करने का वादा तो हर बार करते हैं लेकिन पिछले 12 वर्षोंं से उन्हें झूठे वादे ही मिले हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में प्रचार अभियान के लिए रथ रवाना करते हुए दावा किया कि है कि राज्य में पार्टी की स्थिति अच्छी है और अब उनकी पार्टी राज्य में 50 साल राज करेगी। यह देखने की बात होगी कि अपनी भाषण शैली से वह लोगों की नाराजगी को कितना दूर कर पाते हैं और यदि वह सफल नहीं रहते हैं तो मुख्यमंत्री के प्रति लोगों की नाराजगी इन चुनावों में भाजपा पर भारी पड़ सकती है।