स्टडीः दिल्लीवासियों की जिंदगी के 10 साल छीन रही है जहरीली हवा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 20, 2018 - 09:44 AM (IST)

नई दिल्ली: सोमवार को एक नए अध्ययन में कहा गया कि पिछले दो दशकों के दौरान दिल्ली की एयर क्वालिटी 2016 में सबसे ज्यादा घातक थी और इससे एक नागरिक की जीवन अवधि में 10 साल से अधिक की कमी आई है। इसमें यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी देश के 50 सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रही। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। इससे ऊपर केवल नेपाल है।
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इसमें कहा गया कि एशिया में लोगों की जीवन अवधि में कमी सबसे ज्यादा हुई है। यह भारत और चीन के अनेक हिस्सों में छह साल से ज्यादा कम हो गई। एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिर्विसटी ऑफ शिकागो (एपिक) द्वारा तैयार वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक और संलग्न रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सूक्ष्मकणों से प्रदूषण से औसत जीवन अवधि 1.8 वर्ष कम हुई है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बन रही है। 
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1 समय की स्मोकिंग के जैसे असर डाल रही दूषित हवा
रिपोर्ट के मुताबिक, "सूक्ष्मकणों से प्रदूषण का जीवन प्रत्याशा पर असर एक बार के धूम्रपान से पड़ने वाले असर के बराबर, दोगुने एल्कोहल और मादक पदार्थ के सेवन, असुरक्षित पानी के तीन गुना इस्तेमाल, एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण और आतंकवाद या संघर्ष से 25 गुना अधिक प्रभाव के बराबर हो सकता है।"
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अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत में सूक्ष्मकणों की सांद्रता औसतन 69 प्रतिशत बढ़ गई, जिससे एक भारतीय नागरिक की जीवन अवधि की संभावना 4.3 साल कम हुई जबकि 1996 में जीवन प्रत्याशा में 2.2 साल की कमी का अनुमान लगाया गया था। देश के 50 सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में दिल्ली का स्थान बुलंदशहर के बाद दूसरे नंबर पर था।

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Seema Sharma

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