निरंकारी भवन ब्लास्टः जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड से जुड़े हैं टेरर फंडिंग के तार

punjabkesari.in Tuesday, Nov 20, 2018 - 04:41 PM (IST)

अमृतसर (नीरज): गुरदासपुर व पठानकोट में लगातार 2 बार आतंकवादी हमला करने के बाद जम्मू-कश्मीर से आने वाले आतंकी सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर कभी अमृतसर तो कभी फिरोजपुर में नजर आ रहे हैं, जो साबित कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों ने पंजाब को भी अपने चपेट में ले लिया है। 

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राजासांसी के अदलीवाल गांव में निरंकारी सत्संग भवन में हुए ग्रेनेड हमले में भी पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी व कश्मीरी आतंकवादियों की मिलीभगत होने की संभावना है, ऐसा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बता चुके हैं। आतंकियों को होने वाली टेरर फंडिंग एक बड़ी समस्या है कि जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड से इसके तार जुड़े हुए हैं। एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) की तरफ से जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में एक हजार करोड़ रुपए की टेरर फंडिंग होने संबंधी रिपोर्ट दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से इस बार्टर ट्रेड को बंद नहीं किया जा रहा है, जबकि आए दिन कश्मीर में फल-फूल रहे आतंकवादी सुरक्षाबलों व आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। 

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पंजाब में लगातार 3 बार बम धमाकों की घटनाएं होने के बाद व जालंधर में छात्रों के रूप में रह रहे कश्मीरी आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से यह मुद्दा गर्मा गया है। पिछले 8 वर्षों से इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे व्यापारी पी.एम.ओ. दफ्तर की इस लापरवाही से नाराज हैं और मांग कर रहे हैं कि इस बार्टर ट्रेड को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत बंद कर दिया जाए। 

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क्या है जम्मू-कश्मीर का बार्टर ट्रेड
जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड के बारे में बताते चलें कि केंद्र की पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से पाकिस्तान के साथ दोस्ताना हाथ बढ़ाते हुए पी.ओ.के. (पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर) व भारतीय जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच वहां स्थानीय तौर पर पैदा होने वाली वस्तुओं व उत्पादित वस्तुओं का आपसी आयात-निर्यात करने के लिए बार्टर ट्रेड शुरू कर दिया। हालांकि, इस समय पूरी दुनिया में कहीं भी बार्टर ट्रेड नहीं चल रहा है। इस बार्टर ट्रेड की आड़ में ऐसी वस्तुओं का भी आयात-निर्यात शुरू हो गया, जो जम्मू-कश्मीर में पैदा ही नहीं होती थीं, जैसे चाइनीज लहसुन, अमेरिकन गिरी व सीमेंट और इसके साथ ही बड़े पैमाने पर हवाला कारोबार शुरू हो गया। इसमें व्यापारियों को रुपए या बैंक के जरिए भुगतान नहीं करना होता है।

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आयात की गई वस्तु की कीमत जितना ही अन्य वस्तु का निर्यात करना होता है, लेकिन इसकी आड़ में जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों से लेकर आतंकवादियों तक को फंडिंग होनी शुरू हो गई। आई.सी.पी. अटारी अमृतसर के जरिए होने वाला आयात-निर्यात भी प्रभावित होना शुरू हो गया, क्योंकि अमृतसर सहित पंजाब व दिल्ली के कई व्यापारियों ने भी जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में भागीदारी शुरू कर दी। हालांकि, ऐसे व्यापारियों को बाद में काफी नुकसान भी उठाना पड़ा। ऐसे व्यापारी अपने नाम पर नहीं, बल्कि कश्मीर में रहने वाले नागरिकों के नाम पर काम कर रहे थे। 

 


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