उत्तराखंड में पलायन बनी एक गंभीर समस्या, राज्य सरकार ने किया आयोग का गठन

punjabkesari.in Tuesday, Nov 20, 2018 - 02:44 PM (IST)

देहरादूनः उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 18 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक भी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया है। इस पर राज्य सरकार के द्वारा पलायन आयोग का गठन किया गया और ठोस योजना बनाई है लेकिन इसका जमीन पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। 

राज्य में 1702 गांव पूरी तरह से हो चुके खाली 
जानकारी के अनुसार, राज्य में पलायन एक गंभीर समस्या बन गई है। इसको लेकर राज्य सरकार कार्य योजना तैयार कर रही है। सरकार रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने के लिए दुरस्त क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ कई अन्य विकल्पों पर भी मंथन कर रही है। इसके बावजूद भी मौजूदा समय में स्थिति यह है कि राज्य में 1702 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। 

रख-रखाव के अभाव में गांव होते जा रहे जर्जर 
इसके साथ ही खाली हो चुके यह गांव अब रख-रखाव के अभाव में जर्जर होते जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य इस समय पलायन रोकने के साथ ही रिवर्स पलायन को मजबूती देना भी है। अब सरकार की कोशिश है कि राज्य में जर्जर हो चुके गांवों को पर्यटन क्षेत्रों के रूप में विकसित किया जाए। ऐसे गांवों को चिह्नित करने के साथ ही इसके लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है। 

पलायन रोकने के लिए सरकार ने उठाए कई सकारात्मक कदम 
इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि राज्य में पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार काफी गंभीर है। यही कारण है कि पलायन रोकने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। सीमान्त क्षेत्रों के विकास और कनेक्टिविटी पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। राज्य के सीमांत गांव सामरिक दृष्टि से काफी संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। सरकार चीन सीमा के आसपास के गांवों को फिर से बसाने की कवायद में जुटी है। 


 


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Nitika

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