राजनीतिक विरोधाभास की भावना से जारी किया नोटिस

punjabkesari.in Tuesday, Nov 20, 2018 - 01:39 PM (IST)

चंडीगढ़ (राय): नगर निगम द्वारा गत 12 नवम्बर को भाजपा पार्षद चंद्रावती शुक्ला को निगम सदन के कार्पेट पर गिराए गए गंदे पानी के लिए दिए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब उन्होंने सोमवार को दे दिया। शुक्ला ने निगम सचिव को भेजे अपने जवाब में कहा है कि उन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वह निराधार हैं। उनका कहना है कि उन्हें पार्षद के रूप में ली गई शपथ तो याद दिलाई जा रही है पर उन्हें यह नहीं बताया जा रहा कि अपने कर्तव्यों और ईमानदारी को कैसे छोड़ा है।

पार्षद शुक्ला का कहना है कि उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का तो नोटिस में उल्लेख किया गया है पर यह नहीं बताया गया कि सार्वजनिक संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने के कानून के किस प्रावधान/ धारा का उल्लंघन उन्होंने किया है और जिसके तहत प्रावधान/अनुभाग के चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के तीसरे पैराग्राफ में यह उल्लेख किया गया है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का मौका दिया गया है लेकिन नोटिस में तारीख, समय और व्यक्तिगत सुनवाई के लिए प्राधिकरण का उल्लेख नहीं किया गया है। नोटिस राजनीतिक विरोधाभास की भावना के साथ जारी किया गया है। 

निगम अधिकारियों को कार्पेट की ङ्क्षचता, लोगों की नहीं 
उन्होंने कहा कि वह लगातार 22 सदन की बैठकों में अपने वार्ड में प्रदूषित दूषित पेयजल के मुद्दे को उठा रही हैं। गत 30 अक्तूबर को भी आयुक्त, संबंधित अधिकारी और अन्य सभी सामान्य सदन सदस्यों को इससे अवगत करवाने के लिए दूषित पेयजल की बोतलें लाई थीं। निगम अधिकारियों कार्पेट की चिंता है लेकिन वार्ड 12 निवासियों के स्वास्थ्य के बारे में कोई चिंतित नहीं। उनका कहना है कि उक्त बैठक में करसान कालोनी, सैक्टर-52, चंडीगढ़ में हाऊसिंग बोर्ड के एल.आई.जी./ एम.आई.जी. मकानों के लिए सीवरेज व्यवस्था के संबंध में एक एजैंडा रखा गया था लेकिन उसे जानबूझकर सदन पटल पर रखा ही नहीं गया। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो निगमायुक्त द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।   

कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा  
चंद्रावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के देविंद्र सिंह बबला ने उनके हाथ से पानी की बोतल पकड़ ली और पानी फेंक दिया लेकिन उनके खिलाफ तो कोई भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया। उन्होंने कहा है कि उक्त नोटिस को बिना शर्त वापस लें, अन्यथा उन्हें कारण बताओ नोटिस को जारी करने के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा। कारण बताओ नोटिस जारी करके उनकी छवि को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है।


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bhavita joshi

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