Kundli Tv-अश्वमेध यज्ञ का फल देता है ये मंत्र

punjabkesari.in Monday, Nov 19, 2018 - 04:00 PM (IST)

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पुरातन कथा के अनुसार तुलसी दिव्य पुरूष 'शंखचूड़' दैत्य की निष्ठावान पत्नी वृन्दा थी। भगवान विष्णु ने छल से उसका सतित्व भंग किया था। अत: उसने भगवान काे पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। इस तरह भगवान शालीग्राम रूप में परिवर्तित हो गए। वृन्दा की भक्ति आैर सदाचारिता की लगन काे देखकर उसे वरदान देकर पूजनीय पाैधा 'तुलसी' बना दिया आैर कहा कि वह सदा भगवान के मस्तक की शाेभा बनेगी आैर यह भी कि तुलसी के पत्ताें के बिना प्रत्येक भोग अधूरा रहेगा इसलिए हम तुलसी की पूजा करते हैं।
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बहुत से भारतीय घराें में आगे वाले, पीछे वाले अथवा बीच वाले आंगन में एक तुलसी-पीठ हाेता है जिसमें तुलसी का एक पाैधा लगा रहता है। वर्तमान समय के फ्लैटाें में भी बहुत से लाेग तुलसी का पाैधा एक गमले में लगाकर रखते हैं। जो गृह-स्वामिनी इसमें दीप जलाती हैं, इसे पानी देती हैं आैर इसकी पूजा करके प्रदक्षिणा करती हैं। उसके घर की खुशियां और आय कभी कम नहीं होती।
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तुलसी का डंठल, उसके पत्ते, बीज आैर इसके तल की मिट्टी भी पवित्र मानी जाती है। भगवान की पूजा में विशेषकर विष्णु भगवान आैर उनके अवताराें की पूजा में हमेशा तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं। वृंदा देवी के पूजन के समय जो व्यक्ति इन 8 नामों का जाप करता है। वह अश्वमेध यज्ञ के फल को प्राप्त करता है।
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वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
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Niyati Bhandari

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