दूरसंचार कंपनियों के बीच बढ़ेगी कीमतों की जंग

punjabkesari.in Monday, Nov 19, 2018 - 01:23 PM (IST)

मुंबईः ऐसे समय में जब कीमत को लेकर युद्ध थमने की उम्मीद की जा रही थी, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की रकम जुटाने की आक्रामक योजना से संकेत मिल रहा है कि दूरसंचार कंपनियों के बीच कीमत को लेकर जंग अभी शायद ही थमेगी। विश्लेषकों का मानना है कि दूरसंचार कंपनियों की नई पूंजीगत खर्च योजना के साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा में इजाफा देखने को मिलेगा और इसके परिणामस्वरूप औसत राजस्व प्रति ग्राहक (एआरपीयू) पर दबाव बना रहेगा। 

सितंबर तिमाही के नतीजे के दौरान वोडाफोन आइडिया ने संकेत दिया कि विलय के बाद उनका इरादा 250 अरब रुपए जुटाने का है ताकि बाजार की रणनीति का क्रियान्वयन हो सके। विश्लेषकों का मानना है कि दूरसंचार कंपनियों की तरफ से पूंजीगत खर्च नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है क्योंकि मुख्य आक्रामक कंपनी रिलायंस जियो ने स्पष्ट तौर पर और खर्च का संकेत दिया है, वहीं एयरटेल ने कारोबार के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पूंजीगत खर्च का संकेत दिया है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में टावर व फाइबर परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की योजना के अतिरिक्त 250 अरब रुपए का निवेश से पूंजीगत खर्च का प्रवाह जारी रहेगा। उद्योग के जानकार इसे प्राइस वॉर में और बढ़ोतरी का संकेतक मान रहे हैं।

वोडाफोन आइडिया का पूंजीगत खर्च अपने समकक्षों के मुकाबले काफी कम है। दूसरी तिमाही में 33 अरब रुपए का पूंजीगत खर्च का ढांचा एयरटेल के 76.6 अरब रुपए के मुकाबले कम है। रिलायंस जियो का पूंजीगत खर्च 160 अरब रुपए पर बना हुआ है। दूरसंचार कंपनियों का कर्ज भी हालांकि ज्यादा है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का कर्ज दूसरी तिमाही में 1.12 लाख करोड़ रुपए रहा, वही एयरटेल का 1.18 लाख करोड़ रुपए जबकि जियो का 1.7 लाख करोड़ रुपए। 

विश्लेषकों का मानना है कि 250 अरब रुपए की इक्विटी के बाद भी वोडाफोन आइडिया का शुद्ध कर्ज उच्च स्तर पर बना रहेगा। एक दूरसंचार विश्लेषक ने कहा, निश्चित तौर पर वोडाफोन ने प्रतिस्पर्धी बाजार में टिके रहने के लिए निवेश का खाका तैयार किया है और इसके हिसाब से रकम का प्रावधान किया है। हालांकि सबसे बड़ी चिंता 250 अरब रुपए लगाने के बाद भी शुद्ध कर्ज को लेकर रहेगी। यह देखते हुए कि रिलायंस जियो की मूल कंपनी रिलायंस लगातार रकम झोंकती रहेगी, ऐसे में विश्लेषकों को लग रहा है कि दूरसंचार कंपनियों के बीच बाजार में प्रतिस्पर्धा करीब एक साल और चल सकती है।


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jyoti choudhary

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