पंजाब में धार्मिक फूट डालने की साजिश है 'अमृतसर ब्लास्ट'

punjabkesari.in Sunday, Nov 18, 2018 - 04:07 PM (IST)

अमृतसरःअमृतसर में रविवार को निरंकारी भवन पर किए गए हमले के हमलावरों की पहचान तो अभी नहीं हो सकी है। पर यह हमला पंजाब में धर्म के नाम पर फूट डालने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा लग रहा है। दरअसल सिख कट्टरपंथियों और निरंकारियों के बीच आपसी तकरार काफी पुरानी है।

 हमलावर इस बात को जानते हैं । वह दोनों पक्षों में से किसी एक को उकसा कर पंजाब का माहौल खराब करना चाहते हैं। लिहाजा एक साजिश के अंतर्गत निरंकारी भवन पर हमला करने की योजना  बनाई गई। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. ने पंजाब में सक्रिय सिख कट्टरपंथियों के साथ जुड़े लोगों का इस्तेमाल करके इस धमाके को अंजाम दिया है।

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क्यों निशाने पर हैं निरंकारी

पंजाब में 1980 के दशक में अशांति फिलाने वाले कट्टरपंथियों की निरंकारियों के साथ पुरानी दुश्मनी है। 1978 में बैसाखी वाले दिन दोनों पक्षों में खूनी टकराव भी हो चुका है। इस दौरान करीब 15 लोगों की मौत भी हो गई थी। दरअसल उस समय पंजाब सरकार ने निरंकारिओं को अमृतसर में धार्मिक समारोह करने की इजाजत दी थी। इसका विरोध करने आए दमदमी टकसाल और अन्य सिख संगठनों का निरंकारियों के साथ टकराव हो गया था। इस दौरान चली गोली में 13 लोगों की मौत हो गई थी।

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निरंकारियों की इस कार्रवाई के जवाब में सिख  कट्टरपंथियों ने निरंकारियों के प्रमुख गुरबचन सिंह को दिल्ली में गोलियों मारी थी। गुरबचन सिंह के कत्ल के आरोप में रणजीत सिंह को 13 साल जेल में भी बिताने पड़े।  तब एस.जी.पी.सी. ने जेल सजा काट रहे  रणजीत सिंह को श्री अकाल तख्त साहब का जत्थेदार बनाने का ऐलान कर दिया था। हालांकि बाद में रणजीत सिंह को रिहा कर दिया गया ,जिसके बाद उन्होंने अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार का अपना पद संभाला।
 


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swetha

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