Kundli Tv- बाल स्वरूप में यहां साक्षात विराजमान हैं श्रीकृष्ण

punjabkesari.in Sunday, Nov 18, 2018 - 12:23 PM (IST)

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भारत में हजारों प्राचीन मंदिर हैं जो विश्व प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए हैं। हर मंदिर की अपनी ही खासियत है। वैसे तो हर मंदिर हो या मस्जिद कहीं भी जाने पर किसी को कोई पांबदी नहीं है। हिंदू धर्म में हर किसी को मंदिर आदि जाने की अनुमति है। लेकिन आज हम आपको एेक एेसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर किसी को जाने की अनुमति नहीं है। जी हां आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी किंतु श्रीकृष्ण का एक एेसा मंदिर हैं जहां केवल हिंदू धर्म के लोगों को जाने की इजाज़त है। किसी भी अन्य धर्म के लोगों का इस मंदिर में जाना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
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केरल में स्थित ये प्रसिद्ध मंदिर सदियों पुराना है जिसे गुरुवायुर के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि गुरु का अर्थ है देवगुरु बृहस्पति, वायु का मतलब है भगवान वायु और ऊर एक मलयालम शब्द है, जिसका अर्थ होता है भूमि। गुरुवायुर नामक ये मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। इसके निर्माण के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार देवगुरु बृहस्पति को कलियुग की शुरुआत में भगवान कृष्ण की एक मूर्ति मिली। जिसको गुरु बृहस्पति ने भगवान वायु के साथ मिलकर स्थापित किया था इसलिए, इस जगह का नाम गुरुवायूर पड़ था।
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इस परिसर में भगवान कृष्ण की अत्यंत भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिसके चार हाथ हैं। एक हाथ में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र, तीसरे और चौथे में कमल धारण कर रखा है। लोक मान्यता है कि यहां भगवान की बाल रूप में पूजा की जाती है। लोग यहां दर्शन करने बड़ी दूर-दूर से आते हैं।
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मान्यता है कि भगवान विष्णु श्री कृष्ण के अवतार में आज भी यहां वास करते हैं। क्योंकि यहां वे स्वयं निवास करते हैं इसलिए इस स्थल को बैकुंठ कहा जाता है। यह मंदिर श्री कृष्ण के चार बड़े मंदिरों में से एक हैं। यहां की अजीब बात यह है कि यहां सिर्फ हिंदू धर्म के लोग ही दर्शन के लिए आ जा सकते हैं। गैर हिंदू लोगों का इस मंदिर में आना पूरी तरह से वर्जित है।
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Jyoti

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