जगह-जगह मरता है रावण, एक जगह होता है कंस वध
punjabkesari.in Friday, Nov 16, 2018 - 08:20 PM (IST)
मथुरा: कान्हा की नगरी तीनों लोक से न्यारी है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं बृज के कण-कण में बसी हैं। यहीं श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया था। लाखों श्रद्धालु भगवान कृष्ण की जन्म और कर्मस्थली में इन लीला स्थलों के दर्शन करने आते हैं। कंस वध मेला चतुर्वेदी समाज का परंपरागत आयोजन है। इतना ही नहीं कंस के वध का तरीका भी बेहद रोचक है और इससे जुड़ी कुछ मान्यताएं भी खास हैं। रविवार को कंस वध मेला लगाया जाएगा। कंस का 45 फुट ऊंचा पुतला तैयार किया जा रहा है। चतुर्वेदी समाज के परंपरागत कंस मेला की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। कंस अखाड़े (रंगेश्वर) से लेकर विश्राम घाट तक होने वाले इस मेले को लेकर लोगों में उत्साह है।
रामकृष्ण चतुर्वेदी ने बताया कि भागवत में कंस टीले की ऊंचाई 4 योजन यानी 84 कोस थी। धीरे-धीरे क्षरण होता गया और अब इस टीले की ऊंचाई मात्र 40 फुट रह गई है। कंस वध मेला का चतुर्वेदी समाज के लिए इतना महत्व है कि दुबई तथा दूसरे स्थानों पर विदेशों में रह रहे चतुर्वेदी समाज के लोग भी इस अवसर पर मथुरा पहुंचते हैं। यादव समाज द्वारा भी मथुरा में पिछले एक दशक से कंस मेले का आयोजन किया जा रहा है। नरसिंह बगीजी जनरल गंज से भगवान श्रीराधा-कृष्ण के स्वरूप कंस वध करने के लिए निकलते हैं। देवेंद्र यादव ने बताया कि इस बार भी मेला भव्य होगा, तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
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