छत्तीसगढ़ः कांग्रेस का नहीं जोगी का गढ़ है मरवाही, इस बार अलग होगी चुनावी तस्वीर

punjabkesari.in Friday, Nov 16, 2018 - 03:53 PM (IST)

मरवाही: छत्तीसगढ़ में आदिवासी बहुल मरवाही निर्वाचन क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन यह वस्तुत: कांग्रेस के बागी नेता एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी का किला है। इस तथ्य को राजनीति के जानकार स्वीकार करते हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मरवाही में 20 नवंबर को मतदान होगा। इस बार यहां की चुनावी तस्वीर अलग है। कभी कांग्रेस के झंडाबरदार रहे जोगी काफी समय तक पार्टी में अंतर्विरोधों को झेलने के बाद कांग्रेस का दामन छोड़कर नए क्षेत्रीय दल जकांछ का गठन कर मौजूदा चुनावी समर में न केवल पार्टी के रथ के सारथी बने हैं, बल्कि मरवाही विधानसभा की रणभूमि में योद्धा बनकर भी उतरे हैं। मरवाही निर्वाचन क्षेत्र में पिछली बार 2013 में हुए चुनाव में श्री जोगी ने अपने पुत्र अमित जोगी को बतौर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़वाया। अमित जोगी ने भाजपा प्रत्याशी समीरा पैकरा को 80 हजार मतों से हराया था। मौजूदा विधायक अमित जोगी अब जकांछ में हैं।
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क्या मरवाही पर होगा कांग्रेस का कब्जा
इस बार के चुनाव में कांग्रेस के साथ न जोगी हैं, न ही अमित। सवाल यह भी उठ रहा कि क्या बदली परिस्थिति में कांग्रेस मरवाही सीट पर अपना कब्जा बरकरार रख पाएगी। कांग्रेस ने इस बार गुलाब सिंह राज को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने से पहले अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री रहे दिवंगत भंवर सिंह पोर्ते की पुत्री अर्चना पोर्ते को चुनाव मैदान में उतारा है। पोर्ते ने 1972, 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लगातार जीत हासिल कर हैट्रिक बनायी थी। 1985 के चुनाव में टिकट न मिलने पर वह भाजपा में शामिल हो गए। मरवाही के आदिवासी समुदाय के बीच उनकी गहरी पैठ थी और इसकी बदौलत उन्होंने 1990 में भाजपा टिकट से चुनाव लड़ा और जीते भी। एक नवंबर 2000 को अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 और उसके पश्चात 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में जोगी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। 
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जोगी का बसपा से गठबंधन
मौजूदा विधानसभा चुनाव में जकांछ ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया है। श्री जोगी ने पहले स्वयं चुनाव नहीं लडऩे और सभी सीटों पर चुनाव प्रचार करने की बात कही लेकिन बाद में मरवाही की जनता की इच्छा एवं भावनाओं का हवाला देते हुए खुद भी चुनाव मैदान में ताल ठोक कर खड़े हो गए। मरवाही क्षेत्र में अभी चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। जोगी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के स्टार प्रचारक एवं पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई प्रमुख नेताओं ने मरवाही क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में रैलियां की है। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा अन्य नेताओं ने पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है। मतदान की तिथि करीब आने के साथ ही चुनावी कोलाहल में और भी तेजी आएगी। हाल में मरवाही की चुनावी फिजा में उस समय उफान आया, जब भाजपा की रैली को संबोधित करने आए राजनाथ सिंह ने जोगी को अपना मित्र बताया और कहा कि उन्हें (जोगी) को राजनीति ही करनी थी तो वह भाजपा में शामिल हो जाते।
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सिंह ने कटाक्ष किया कि अपने को मरवाही का कमिया कहने वाले जोगी ने मुख्यमंत्री और विधायक रहते यहां के विकास के लिए क्यों कुछ नहीं किया। जोगी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि सिंह उन्हें अपना मित्र मानते तो वह मरवाही आते ही नहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही उनका खौफ है और इसीलिए दोनों दलों के नेता मरवाही का बार-बार चक्कर लगा रहे हैं। स्थानीय विपक्षी कार्यकर्ताओं का मानना है कि जोगी का अपनी जीत का दावा उनका बड़बोलापन है। पहले भी अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी से चुनाव लडऩे वालों नेताओं की मतदाताओं के बीच साख नहीं रही और ऐसे लोगों को पराजय का स्वाद चखना पड़ा। चुनावी बेला में मरवाही क्षेत्र का माहौल जोगीमय नजर आ रहा है लेकिन उम्मीदवारों का भाग्य किस तरफ करवट लेगा, यह तो अभी मतदाताओं के जेहन में है जो 11 दिसंबर को स्पष्ट होगा।

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Seema Sharma

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