Kundli Tv- आखिर क्यों श्रीकृष्ण को लेनी पड़ी विदुर के घर में पनाह ?

punjabkesari.in Friday, Nov 16, 2018 - 02:34 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जब भी हम महाभारत की बात करते हैं तो ज़ुबान पर श्रीकृष्ण का नाम ज़रूर आता है। पौराणिरक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण की ही वजह से अर्जुन महाभारत का युद्ध जीत पाया था क्योंकि श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे। अब क्योंकि श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी थे, तो ज़ाहिर सी बात है कि एेसे कई मौके आए होंगे जब श्रीकृष्ण की जान पर खतरा आया होगा। पंरतु लीलाधर कृष्ण हर बार चतुराई से अपनी जान बचाकर हर मुश्किल से आसानी से निकल गए थे। तो आइए आज हम आपको एेसे दो किस्से बताते हैं जिस दौरान श्रीकृष्ण को अपने ऊपर आने वाले खतरे का आभास पहले ही हो गया था लेकिन अपनी समझधारी और सूझबूझ से उन्होंने अपनी जान बचा ली थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण को हस्तिनापुर पांडवों का शांति प्रस्ताव लेकर अकेले ही जाना था तब उन्होंने बहुत बड़े दो काम किए थे। यहां जानिए क्या थे वो दो काम-
PunjabKesari
कहा जाता है कि कौरव और पांडवों के बीच युद्ध को रोकने के आखिरी प्रयास के तौर पर भगवान श्रीकृष्ण ने हस्तिनापुर जाने का फैसला लिया लेकिन वहां शकुनि और दुर्योधन अपनी कुटिल नीति से श्रीकृष्ण को मारना चाहते थे ताकि पांडवों का सबसे मज़बूत पक्ष समाप्त हो जाए और वो युद्ध में जीत जाएं। परंतु ऐसे हालातों में श्रीकृष्ण अच्छी तरह से जानते थे कि अगर मैं हस्तिनापुर में कहीं सुरक्षित रह सकता हूं तो वह है विदुर का घर। विदुर की पत्नी एक यदुवंशी थी। दूसरी बात यह है कि दुर्योधन और शकुनि ने विदुर का  कई बार अपमान भी किया था, तो विदुर भी कहीं-न-कहीं दुर्योधन से चिढ़ते थे। दुर्योधन ने जब विदुर का अपमान किया था तो उन्होंने भरी सभा में ही यह निर्णय ले लिया था कि अगर वो उस पर विश्‍वास ही नहीं करता तो वे भी युद्ध नहीं लड़ना चाहते। ऐसा कहकर विदुर ने युद्ध में नहीं लड़ने का संकल्प ले लिया था।
PunjabKesari
जब श्रीकृष्ण रात को विदुर के घर रुके तो विदुर ने श्रीकृष्ण को समझाया था कि आप यहां क्यों आ गए। वह दुष्ट दुर्योधन किसी की नहीं सुन रहा है। वह आपका भी अपमान ज़रूर करेगा। श्रीकृष्ण जानते थे कि दुर्योधन भरी सभा में मेरा भी अपमान कर सकता है और उसके बाद परिस्थितियां बदल जाएंगी। ऐसे में हस्तिनापुर में उन्होंने विदुर के यहां रहने का फैसला किया, क्योंकि विदुर के पास एक ऐसा हथियार था, जो अर्जुन के 'गांडीव' से भी कई गुना शक्तिशाली था। विदुर के सहयोग से ही श्रीकृष्ण ने हस्तिनापुर और राजमहल में ससम्मान प्रवेश किया।
PunjabKesari
दूसरा काम-
सात्यकि महाभारत में एक वीर था जो यादवों का सेनापति था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण सात्यकि की योग्यता और निष्ठा पर बहुत विश्वास रखते थे। जब वे पांडवों के शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर गए, तो अपने साथ केवल सात्यकि को ले गए। कौरवों के सभाकक्ष में प्रवेश करने से पहले उन्होंने सात्यकि से कहा कि वैसे तो मैं अपनी रक्षा करने में पूर्ण समर्थ हूं, लेकिन अगर कोई बात हो जाए और मैं मारा जाऊं या बंदी भी बना लिया जाऊं, तो फिर हमारी सेना दुर्योधन की सहायता के वचन से मुक्त हो जाएगी और ऐसी स्थिति में तुम उसके (नारायणी सेना के) सेनापति रहोगे और उसका कोई भी उपयोग करने के लिए स्वतंत्र रहोगे। 

सात्यकि समझ गया कि कृष्ण क्या कहना चाहते हैं इसलिए वह पूरी तरह सावधान होकर सभाकक्ष के दरवाज़े के बाहर खड़ा रहे।
PunjabKesari
कहा जाता है सात्यकि पर विश्वास के कारण ही दुर्योधन के व्यवहार को देखकर सभाकक्ष में कृष्ण ने कौरवों को धमकाया था कि दूत के रूप में आए हुए मुझे कोई हानि अनिष्ट पहुंचाने से पहले आपको यह सोच लेना चाहिए कि जब हमारी यादव सेना के पास यह समाचार पहुंचेगा, तो वह हस्तिनापुर का क्या हाल करेंगे। यह सुनते ही सारे कौरव कांप गए और शकुनि और दुर्योधन को कुछ बुरा करने से रोक दिया।

इसके बाद तब श्रीकृष्‍ण ने शांति प्रस्ताव रखते हुए कौरवों से पांडवों के लिए 5 गांव मांगे थे, जिस दुर्योधन ने ठुकरा दिया था।
नहीं हो पाता है आपसे डांस तो बस कर लें ये एक काम (VIDEO)
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News