नियमों के विपरीत हो रहे पी.यू. में एम.ओ.यू.

punjabkesari.in Thursday, Nov 15, 2018 - 01:45 PM (IST)

चंडीगढ़ (साजन): पंजाब यूनिवर्सिटी में अब नियमों के विपरीत मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एम.ओ.यू.) साइन किए जा रहे हैं। बता दें कि एम.ओ.यू. दो संस्थानों के बीच होता है। लेकिन इस परंपरा को बीते कुछ सालों में तोडऩे का काम किया जा रहा है। इसके लिए कई नियम और कानून दरकिनार कर दिए गए हैं। बतौर वी.सी. जिस प्रोजेक्ट में अब वी.सी. प्रो. राजकुमार का नाम होना चाहिए था, वहां प्रोजेक्ट में पूर्व वी.सी. अरुण कुमार ग्रोवर का नाम है। वह इस प्रोजैक्ट पर काम कर रहे हैं। इस प्रोजैक्ट में मोटी राशि इन्वॉल्व है। प्रोजेक्ट के लिए यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रीज से डेढ़ लाख पाउंड मिले हैं। 

प्रोजेक्ट की को-इनवेस्टीगेटर और रिसर्च प्रमोशन सैल की डायरेक्टर रमनजीत कौर जौहल का कहना है कि जिस एरिया में प्रोजेक्ट मिला है उसमें उनकी स्पेशलाइजेशन है। इसके लिए कई प्रोसिजर फॉलो किए गए हैं। पंजाब से आई.आई.टी. रोपड़, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना और पंजाब यूनिवर्सिटी को पार्टनर बनाया गया है। भारत से 25 से ज्यादा पार्टनर प्रोजैक्ट में काम कर रहे हैं। ग्रोवर ने बतौर वी.सी. प्रोजैक्ट का एग्रीमेंट किया था। वह इसमें को-इनवेस्टीगेटर हैं। 

प्रोजेक्ट में एग्रीमेंट क्रिक्स, पी.यू. के नाम से दिखाया जा रहा है हालांकि रमनजीत कौर जौहल कह रही हैं कि यह प्रोजेक्ट क्रिक्स नहीं बल्कि पीयू के नाम से साइन हुआ है। रमनजीत कौर जौहल को ग्रोवर ने को-इनवेस्टीगेटर बनाया ताकि करोड़ों के प्रोजेक्ट से नाता जुड़ा रहे। हालांकि उन्होंने बतौर वी.सी. इस एग्रीमेंट पर साइन किए थे, लिहाजा अबास वीसी प्रो. राजकुमार का नाम प्रोजेक्ट से जुड़ जाता है जबकि ग्रोवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

प्रोजैक्ट वी.सी. के देखरेख होना चाहिए
यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रीज ने पूर्व वी.सी. ग्रोवर के समय में क्रिक्स, पीयू के साथ एक एम.ओ.यू. साइन किया था। यह एम.ओ.यू. दो संस्थानों के बीच होना चाहिए था। लेकिन यह एम.ओ.यू. दो संस्थानों के बीच न होकर व्यक्तिगत तौर पर बना दिया गया। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में बाकायदा प्रोजेक्ट में पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्च असिस्टैंट तैनात करने के लिए 17 अक्टूबर को इंटरव्यू कर लिए गए। किसी भी संस्थान से अगर एम.ओ.यू. साइन होता है तो वह या तो दो संस्थानों के बीच और या फिर उस संस्थान के सबसे बड़े ओहदे पर स्थित अधिकारी के बीच होना चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि संस्थान का जो सबसे बड़ा अधिकारी है वह इस प्रोजेक्ट को हथिया ले। प्रोजैक्ट पंजाब यूनिवर्सिटी के वी.सी. के नाम से है। लिहाजा अब इसकी देखरेख का काम वर्तमान वी.सी. राजकुमार का है न कि पूर्व वी.सी. प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर का। कैंब्रीज यूनिवर्सिटी के साथ अगर करार क्रिक्स ने किया है तो यह इसके चेयरमैन के तौर पर किया जाना चाहिए था जो पंजाब यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर होता है।

टीचर उठा रहे सवाल
टीचर प्रोजैक्ट को लेकर कई सवाल उठा रहे हैं। वह पुराणों में स्थित राजा ययाति का उदाहरण दे रहे हैं कि जैसे उसकी हजारों साल उम्र भोगने के बाद भी काम वासना पूरी न हुई तो उसने देवताओं से और लंबे जवानी भरे जीवन की अभिलाषा की। देवताओं ने कहा कि यदि उनका कोई पुत्र जवानी दे दे तो यह इच्छा पूरी हो सकती है। बिना शर्म किए पुत्रों की जवानी भी मांग ली। 

हिंदुस्तान के कई संस्थानों से किया गया करार 
यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रीज ने यह करार कई संस्थानों के साथ किया। इसमें दो दर्जन से ज्यादा इंस्टीच्यूट हैं। क्रिक्स जो कई संस्थानों को मिलाकर बनाई गई संस्था है का एड्रेस भी पी.यू. में ही दिया गया। क्रिक्स के साथ पी.यू. का केवल यह नाता है कि यहां का वी.सी. क्रिक्स का चेयरमैन रहता है। प्रोजेक्ट में को-इनवेस्टीगेटर प्रो. अरुण ग्रोवर और रमनजीत कौर जौहल जो रिसर्च प्रमोशन सैल की डायरेक्टर हैं को बनाया गया है। टी.आई.जी.आर.2ई.एस.एस. (टिग2रैस)के नाम से प्रोजेक्ट को लेकर हिंदुस्तान के कई अन्य संस्थानों से भी करार किया गया है। प्रोजेक्ट ट्रांसफोर्मिंग इंडिया ग्रीन रेवोल्यूशन बाय रिसर्च एंड एंपावरमेंट फार सस्टेनेबल फूड सप्लाई इसमें शामिल है। 


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bhavita joshi

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