JERC ने अब तक तय नहीं किए सोलर एनर्जी ग्रॉस मीटरिंग रेट

punjabkesari.in Thursday, Nov 15, 2018 - 10:31 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : साल 2018 पूरा बीतने को आया लेकिन ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी रेगुलैटरी कमीशन (जे.ई.आर.सी.) ने अभी तक सोलर एनर्जी ग्रॉस मीटरिंग के रेट निर्धारित नहीं किए हैं। हर साल अप्रैल में जे.ई.आर.सी नए रेट निर्धारित करता है। इसके चलते शहर की बिल्डिंगों में सोलर सिटी प्रोजैक्ट बेहतर तरीके से इंप्लीमैंट करने के सपने को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। 

यह भी एक बड़ी वजह है कि शहर के लोग सोलर प्रोजैक्ट लगाने से कतरा रहे हैं और सोलर प्रोजैक्ट लगने की गति धीमी पड़  गई  है। 17 नवम्बर तक एक कनाल या इससे अधिक के घर पर सोलर प्रोजैक्ट लगवाना अनिवार्य है। अंतिम तिथि नजदीक होने के कारण चंडीगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रोमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) के पास एप्लीकेशन तो खूब पहुंच रही हैं। 

बताया जा रहा है कि एक-एक दिन में 25 से 30 एप्लीकेशन पहुंच रही हैं। अपनी एप्लीकेशन के स्टेट्स व नया पैनल लगाने की जानकारी लेने भी रोजाना बहुत से लोग पहुंच रहे हैं लेकिन ग्रॉस मीटरिंग निर्धारित न होने से लागत नहीं निकल पाई है जिससे लोग फिलहाल प्रोजैक्ट से किनारा कर रहे हैं। 

ग्रॉस मीटरिंग के रेट तय नहीं होने के कारण क्रेस्ट के अधिकारी अब नेट मीटरिंग में सोलर प्रोजैक्ट लगाने की सलाह लोगों को दे रहे हैं लेकिन लोगों को नेट मीटरिंग फिलहाल फायदे का सौदा नहीं लग रहा। अप्रैल से जे.ई.आर.सी सोलर एनर्जी के लिए रेट निर्धारित करता रहा है लेकिन इस बार नवम्बर शुरू होने के बाद भी जे.ई.आर.सी से इसकी मंजूरी नहीं मिली है। 

यह है ग्रॉस मीटरिंग और नेट मीटरिंग :
ग्रॉस मीटरिंग में अपने सोलर प्रोजैक्ट से जेनरेट होने वाली एनर्जी सीधे ग्रिड को सेल की जाती है। इस वित्त वर्ष से पहले जे.ई.आर.सी ने इसका रेट प्रति यूनिट 9.27 पैसे निर्धारित किया था। आकर्षक रेट होने के कारण लोगों को अच्छी कमाई हो रही थी। वह सोलर प्रोजेक्ट की बिजली इसी रेट में इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट को बेच सकते थे। 

फायदा यह था कि लोग इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट की बिजली 2.50 से 5 रुपए तक प्रति यूनिट इस्तेमाल करते थे और अपनी सोलर एनर्जी को सीधे दोगुने रेट 9.27 में बेचते थे। इससे अच्छा खासा लाभ मिलता था, जबकि नेट मीटरिंग में सोलर प्रोजैक्ट से जेनरेट होने वाली बिजली को पहले घर में ही इस्तेमाल करना होता है। 

इसके बाद जो बिजली बचती है, वह ग्रिड को चली जाती है। इसका पैसा अगले बिल में कट जाता है। इसका रेट वही होता है जो इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट अपनी बिजली का वसूलता है। पहले जो लोग ग्रॉस मीटरिंग के तहत सोलर प्रोजैक्ट लगवा चुके हैं, उन्हें 25 साल तक इसका फायदा मिलेगा। 


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Priyanka rana

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