WhatsApp, फेसबुक आ सकते हैं नियमों के दायरे में, अॉनलाइन MSG और कॉल हो सकती है मंहगी
punjabkesari.in Wednesday, Nov 14, 2018 - 06:16 PM (IST)
नई दिल्लीः कॉलिंग ऐप जैसे वॉट्सऐप, गूगल डुओ और स्काइप जल्द ही नियमों के दायरे में आ सकते हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सोमवार को OTT ऐप्स पर परामर्श पत्र जारी किया। इन सभी कंपनियों से 10 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं।
ऐप के जरिए कॉल या मैसेज पर पैसे देने पड़ सकते हैं पैसे
परामर्श प्रक्रिया पूरी करने के बाद ट्राई जनवरी 2019 से सिफारिशों को लागू करेगा। ट्राई ने बयान में कहा कि परामर्श पत्र का उद्देश्य उन बदलावों पर विचार करना है, जो इन इकाइयों की निगरानी के लिए मौजूदा नियामकीय व्यवस्था में किए जाने की जरूरत है। साथ ही, इसके जरिए यह भी तय किया जाएगा कि ये बदलाव किस तरीके से आने चाहिए। दरअसल, सरकार चाहती है कि अधिकृत लाइसेंसधारी कंपनियां ही कॉलिंग और मैसेजिंग जैसी सुविधाएं दें, सोशल मीडिया कंपनियां नहीं। अगर यह नियम बना तो यूजर्स को सोशल मीडिया ऐप के जरिए कॉल करने या मैसेज भेजने पर पैसे देने पड़ेंगे।
क्या है OTT सेवाएं
OTT सेवाओं से मतलब ऐसी एप्लिकेशन और सेवाओं से है जिसे इंटरनेट के जरिए पाया जाता है और जो ऑपरेटरों के नेटवर्क पर चलती हैं। सूत्रों के मुताबिक, नए परामर्श पत्र से वॉट्सऐप, हाइक आदि ऐप्स प्रभावित होंगे। वैसे तो यह वीडियो साइटों पर लागू नहीं होता, लेकिन इसका असर फेसबुक और ट्विटर पर भी पड़ सकता है। ट्राई ने स्पष्ट किया है कि उसके मौजूदा विचार-विमर्श का दायरा नियामकीय और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होगा। इसमें उन ओटीटी सेवाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जो दूरसंचार सेवाओं प्रदाताओं (टीएसपी) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं जैसी या उससे मिलती-जुलती हैं।
ट्राई ने मांगी जानकारी
डाटा में सेंध और फर्जी खबरों को लेकर वॉटसऐप और फेसबुक जैसी कंपनियां नीति-निर्माताओं की जांच के घेरे में हैं। ट्राई के इस कदम से इन कंपनियों पर दबाव और बढ़ने की संभावना है। साथ ही इसके जरिए यह भी तय किया जाएगा कि ये बदलाव किस तरीके से आने चाहिए। इस बारे में स्काइप, वॉट्सऐप और हाइक को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला। ट्राई ने स्पष्ट किया है कि उसके मौजूदा विचार-विमर्श का दायरा नियामकीय और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होगा।