सिरमौर में एक ऐसा गांव जहां पहली बार मनाई गई दीपावली, जानिए खासियत (Video)

punjabkesari.in Wednesday, Nov 14, 2018 - 12:18 PM (IST)

सिरमौर (रोबिन): वैसे तो पहाड़ी क्षेत्रों में दीपावली 7 दिन तक मनाई जाती है। हर गांव के ग्रामीण अपनी-अपनी पुरानी परंपराओं के साथ दीपावली का त्योहार मनाते हैं जिसमें अपने पहाड़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम पहाड़ी नाटी, पहाड़ी नाटक इत्यादि कल्चर की प्रस्तुति अपने गांव में लोग दिखाते हैं। ऊंचे पहाड़ों पर बसा हावड़ा गांव जो सिरमौर का पहला ऐसा गांव जहां पर पहली बार दीपावली का प्योहार पुराने रीति-रिवाजों व मिट्टी के दीए जलाकर मनाई गई। इस गांव की खास बात यह रही कि यहां पर दीपावली पहली बार मनाई गई और सांस्कृतिक संध्या व पहाड़ी कल्चर का प्रोग्राम का भी यहां पर आयोजन किया गया, जिसमें लगभग पंद्रह गांव के ग्रामीण देखने के लिए पहुंचे। 
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पहाड़ी नाटकों से मिली सिख
गांव के बुद्धिजीवियों द्वारा पुरानी कल्चर का नाटक का आयोजन भी किया गया जिसमें यह सीख दी गई थी कि बीमार होने पर रोगी का इलाज अस्पताल में किया जाए ना कि किसी पंडित को बुलाकर उसकी पूजा पाठ कराया जाए। 
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पहाड़ी कलाकारों के गानों से झूमा पंडाल
सांस्कृतिक संध्या का प्रोग्राम में जिला सिरमौर के उभरे युवा कलाकार के गानों से पंडाल मैं बैठे लोग नाचने के लिए विवश हो गए। डीप खादराई और बबली त्यागी के गानों ने धूम मचा दिया। 
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