रेटिंग एजेंसियों पर सेबी की सख्ती, जारी किए नए दिशानिर्देश

punjabkesari.in Wednesday, Nov 14, 2018 - 10:38 AM (IST)

बिजनैस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए खुलासा नियमों को सख्त बना दिया है। आज जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को खुलासा करते समय कई कारकों को ध्यान में रखना होगा। इनमें प्रमोटर सपोर्ट, सहयोगी कंपनियों के साथ संबंध और निकट अवधि भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए नकदी की स्थिति शामिल है।  सेबी के इस कदम को आईएलऐंडएफएस संकट के असर के तौर पर देखा जा रहा है। इस संकट ने क्रेडिट रेटिंग प्रक्रिया की कमियों को उजागर कर दिया है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां किसी कंपनी की क्रेडिट योग्यता को प्रभावित करने वाले कारकों की निगरानी और विश्लेषण करती हैं और इस तरह बॉन्ड की कीमत तय करने में मदद करती हैं।

सेबी का कहना है कि जब रेटिंग कारक मूल कंपनी या सरकार से समर्थन है तो प्रवर्तक का नाम और किसी भी उम्मीद के लिए दलील रेटिंग एजेंसी द्वारा मुहैया कराया जाएगा। साथ ही जब रेटिंग के लिए सहयोगी कंपनियों या समूह कंपनियों को साथ मिलाया जाता है तो फिर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को सभी कंपनियों की सूची बनानी होगी और एकीकरण के पीछे तर्क देना होगा। 

उद्योग जगत का कहना है कि सेबी के दो नए उपाय सीधे तौर पर आईएलऐंडएफएस के डिफॉल्ट का असर है। कई निवेशक यह मान बैठे थे कि कंपनी को सरकार का समर्थन हासिल है। इसका नतीजा यह हुआ कि आईएलऐंडएफएस पर भारी कर्ज के बावजूद निवेशकों ने बेहिचक इसकी प्रतिभूतियों में निवेश किया। डिफॉल्ट से पहले कंपनी को ऊंची रेटिंग हासिल थी। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठï निदेशक सोमशेखर वेमूरी ने कहा कि सेबी के नए दिशानिर्देशों से निवेशकों को रेटिंग कारकों के बारे में ज्यादा स्पष्टïता मिलेगी। इक्रा के मुख्य रेटिंग अधिकारी अंजन घोष का भी कहना है कि इससे निवेशकों को फैसला लेने में ज्यादा मदद मिलेगी। 


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Isha

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