पाक-चीन के बीच बस सेवा शुरू, बढ़ गई भारत की टेंशन

punjabkesari.in Tuesday, Nov 13, 2018 - 05:53 PM (IST)

पेशावरः  भारत के विरोध के बावजूद पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के बीच बस सेवा शुरू हो गई है। ये बस सेवा लाहौर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगिट से होते हुए चीन के सुदूर पश्चिम प्रांत जिनजियांग के काशगर तक जाएगी। भारत ने पीओके से शुरू होने वाली इस बस सेवा का विरोध किया था, लेकिन इसके बाद भी चीन ने इस विरोध को खारिज कर दिया था। दरअसल, 1963 में पाकिस्तान और चीन के बीच एक सीमा समझौता हुआ था, जिसके अनुसार चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर को एक विशेष हिस्सा माना था। उसने भारत को भरोसा दिया था कि पाकिस्तान से उसका ये समझौता केवल पाकिस्तान के क्षेत्रों तक मान्य रहेगा। लेकिन पिछले कुछ सालों से चीन लगातार पाकिस्तान की शह पर इस समझौते को धता बताकर पीओके में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। इस क्षेत्र पर भारत हमेशा से अपना दावा करता आया है।

PunjabKesari कुल 30 घंटों की होगी यात्रा: लाहौर से गिलगिट होते हुए शुरू हुई ये बस सेवा कारोकोरम मार्ग से गुजरेगी। ये बस सेवा कुल 30 घंटों की होगी, जिसमें पांच स्टॉप होंगे। 15 सीटर ये लग्जरी बस सेवा हफ्ते में चार दिन चलेगी। इसका प्रति यात्री टिकट 13 हजार रुपए है, जबकि आने-जाने का किराया 23 हजार होगा। पाकिस्तान की एक प्राइवेट कंपनी का ऑपरेटर ये बस चला रहा है।PunjabKesariक्यों है भारत के लिए खतरा: चीन ने बस सेवा के लिए तर्क दिया है कि इससे सीपीईसी प्रोजेक्ट को मदद मिल सकेगी और चीन-पाकिस्तान व्यापार को बढावा मिलेगा। दरअसल, सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत चीन पाकिस्तान के साथ रेल और सड़क संपर्क बेहतर कर रहा है। लेकिन जानकार मानते हैं कि चीन जिस तरह पीओके में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, वो भारत के लिए खतरे की घंटी है। अपने प्रोजेक्ट्स की हिफाजत के बहाने यहां उसके सैनिकों का जमावड़ा हो रहा है। इस पूरे इलाके में कई हजार चीनी सैनिकों को मौजूदगी बताई जा रही है। इस एरिया के जरिए वो पॉलटिको डिप्लोमेसी का खेल खेल रहा है।

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एकमात्र लिंक होगा पाक अधिकृत कश्मीर : ये भी सही है कि चीन को अगर सड़क मार्ग से कुछ भी पाकिस्तान को पहुंचाना है तो उसका एकमात्र लिंक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ही होगा, जिसका क्षेत्र गिलगिट-बाल्टिस्तान है। लिहाजा, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) यही से गुजर रहा है। इसमें चीन करीब 50 बिलियन डॉलर की रकम निवेश भी कर चुका है।चीन की मंशा सीपीईसी के जरिए बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक सड़क मार्ग विकसित कर अपने सामान को वहां तक पहुंचाना है।
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ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन ने इस क्षेत्र में अपना कोई भौगोलिक एजेंडा बनाया हुआ है। चीन के कई प्रोजेक्ट्स गिलगिट-बाल्टिस्तान में हैं। इनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर और पावर प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। झेलम नदी पर दो बिलियन डॉलर की लागत से एक चीनी कंपनी पावर प्रोजेक्ट बना रही है, जो 30 सालों तक चीनी कंपनी के नियंत्रण में रहेगा।


 


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Tanuja

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