श्रीलंका: सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंकाई संसद भंग करने पर लगाई रोक

punjabkesari.in Tuesday, Nov 13, 2018 - 07:13 PM (IST)

कोलंबोः श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के कदम को मंगलवार को पलट दिया और पांच जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर विराम लगाने का आदेश दिया। वहां मौजूद पार्टी पदाधिकारियों ने यह बताया। प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली एक पीठ ने सिरीसेना के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर तकरीबन 13 और पक्ष में दायर पांच याचिाकाओं पर दो दिन की अदालती कार्यवाही के बाद यह व्यवस्था दी। 
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शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी कि सिरीसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसंबर को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं में विभिन्न पाॢटयों के साथ स्वतंत्र चुनाव आयोग के एक सदस्य रत्नाजीवन हुले भी शामिल हैं। सिरीसेना ने संसद भंग कर दी थी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव करने के आदेश जारी किए थे। इससे देश अभूतपूर्व संकट में फंस गया। PunjabKesari
राष्ट्र के नाम संदेश में अपने फैसले का बचाव करते हुए सिरिसेना ने बताया कि उन्होंने यह फैसला सांसदों के बीच संभावित संघर्ष को टालने के लिए लिया है। मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि 14 नवंबर को होने वाले बहुमत परीक्षण के दौरान दोनों पक्षों के सांसदों में हिंसक झड़पें हो सकती थीं, जिसमें कुछ मौतें भी संभव थीं। ये संघर्ष देश में भी फैल सकता था। ऐसे में, सबसे अच्छा समाधान यही था कि 225 सांसदों को संसद में एक-दूसरे से झगड़ने का मौका ही नहीं दिया जाए।
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श्रीलंकाई संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने नौकरशाहों से कहा है कि वे कोई भी 'गैरकानूनी' आदेश मानने से इनकार कर दें, भले ही वह आदेश किसी ने भी दिया हो। उन्होंने राष्ट्रपति से तुरंत संसद सत्र बुलाने का अनुरोध भी किया है, ताकि पता चल सके कि बहुमत किस पार्टी के साथ है।


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Tanuja

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