दिवाली अौर पराली से दिल्ली हुई काली, डराती राजधानी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 13, 2018 - 11:01 AM (IST)

नई दिल्ली: पंजाब-हरियाणा में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से उठे धुएं और तापमान में हुई गिरावट से दिल्ली की हवा और जहरीली हो गई है। राजधानी के लोगों को लगातार चौथे दिन भी खराब गुणवत्ता वाली हवा में ही सांस लेना पड़ा। दिन में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी रही।

दमघोंटू हवा से लोगों को  नहीं मिल पा रहा है छुटकारा
दिल्ली के लोगों को दमघोंटू हवा से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। दीपावली के दिन दिल्ली की हवा कमोबेश साफ-सुथरी थी। उस दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 दर्ज किया गया था। वायु गुणवत्ता का यह स्तर स्वीकृत मानकों के हिसाब से खराब श्रेणी में रखा जाता है लेकिन पिछले 4 दिनों की हालत को देखते हुए दीपावली के दिन की हवा को भी अपेक्षाकृत साफ-सुथरा माना जा सकता है। दीपावली की शाम को पटाखे और आतिशबाजी जलाने के बाद रात तक दिल्ली की हवा में प्रदूषण का जहर बुरी तरह से घुल गया। हवा की रफ्तार बेहद कम होने से हवा में घुला आतिशबाजी का यह धुआं दिल्ली के वातावरण में लगातार बना हुआ है। शनिवार सुबह इसमें कुछ गिरावट का रुख देखने को मिला था लेकिन अगले दिन इसमें फिर से इजाफा दर्ज किया गया। दिन में दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही।


भौगोलिक स्थिति भी दम घोंट रही 
दीवाली के बाद से दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। इसके लिए पटाखे, पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली और वाहनों से निकलने वाले धुएं को जिम्मेदार माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो ये मानव निर्मित कारक तो जिम्मेदार हैं ही, इसके साथ ही दिल्ली की इस दयनीय हालत की वजह भौगोलिक स्थिति भी है। इन स्थितियों के कारण दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है। 

मंद हवा 

  • 1 से 3 मीटर प्रति सैकेंड मात्र की गति से सर्दी में हवाएं चलती हैं।
  • गर्मी के दिनों में यहां चलने वाली हवाओं के मुकाबले एक-तिहाई गति 
  • चेन्नई और मुम्बई जैसे शहरों में बहने वाली औसत हवा के मुकाबले भी गति कम 

     उत्तर के पहाड़ बने बाधा 

किसानों की ओर से जलाई जा रही पराली और सर्द मौसम की वजह से स्मॉग बनता है।
स्मॉग दिल्ली से होता हुआ उत्तर की ओर बढ़ता है लेकिन हिमालय अवरोधक बन जाता है ।पहाड़ों के कारण स्मॉग पूरे गंगा घाटी में फैल जाता है।

गिरते तापमान से स्थिति खराब 
प्रदूषकों के साथ सतह पर बहने वाली हवा ऊंचाई पर मौजूद हवा के मुकाबले गर्म होती है। यह हवा ऊपर उठने की कोशिश करती है लेकिन ऊंचाई पर मौजूद सर्द हवा बाधक साबित होती है। इस कारण हानिकारक कणों से भरी प्रदूषित हवा सतह पर रहती है और सेहत को नुक्सान पहुंचाती है।

मानवीय कारक भी 
रबी की बुआई के लिए किसान पराली जलाते हैं जिससे हवा प्रदूषित होती है। पराली जलाने से प्रदूषित हवा को और जहरीला दीवाली पर फूटे पटाखे करते हैं, कूड़े को जलाने, जीवाश्म से चलने वाले वाहन और निर्माण कार्य भी प्रदूषण का स्तर बढ़ाते हैं।

बंगलादेश तक असर 
दिल्ली और आसपास के राज्यों में पैदा होने वाले प्रदूषण का असर उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका असर सुदूर पूर्व बंगलादेश तक देखने को मिलता है। प्रदूषण के कारण पूरी गंगा घाटी कोहरे की चादर में ढक जाती है।

सुबह टहलने वालों को दिक्कत
रविवार सुबह से वातावरण में सफेद धुंध छाई रही। इंडिया गेट पर मॉर्निंग वॉक के लिए आने वाले मुकेश भाटी ने बताया कि वे अब मास्क लगाकर आते हैं। सुबह सांस लेने में दिक्कत होती है। अब दौडऩे पर जल्दी थक जाते हैं। मुकेश ने बताया कि जब से वातावरण की हवा खराब हुई है, तब से इंडिया गेट पर सुबह टहलने आने वालों की संख्या कम हो गई है।


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Anil dev

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