33 हजार आतंक पीड़ितों के मुआवजे की फाइल ‘सी.एम.’ व ‘पी.एम.’ कार्यालयों में काट रही चक्कर
punjabkesari.in Tuesday, Nov 13, 2018 - 10:50 AM (IST)
अमृतसर (सफर, नवदीप): पंजाब में आतंक ने हजारों घरों के चिराग बुझा दिए। कई बेगुनाह बलि चढ़ गए। अधिकांश निशाना बनने वालों में सियासी पार्टियों के नुमाइंदे, प्रमुख बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार, पुलिस अधिकारी, कर्मचारी एवं उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं। पंजाब में करीब 50 हजार आतंकवाद पीड़ितों में से 33 हजार परिवार पंजाब सरकार के पास रजिस्टर्ड हैं। इनमें करीब 2 हजार शहीद पुलिस वालों के परिवार हैं। इस दौर में आतंक से गुजर चुके इन पीड़ित परिवारों को यह आस नहीं थी कि पंजाब में अमन-शांति का सवेरा कभी होगा।
‘ऑल इंडिया आतंकवाद पीड़ित एसोसिएशन’ के राष्ट्रीय चेयरमैन डा. बी.आर. हस्तीर कहते हैं कि पंजाब में आतंक का सफाया हुआ तो सियासत ने भी आतंक व दंगा पीड़ितों को 2 हिस्सों में बांट दिया। 1984 में हुए दंगों को सरकारों ने आतंक पीड़ित परिवारों के बीच मुआवजे की राशि को लेकर ‘खाई’ खोद दी। दंगा पीड़ित परिवारों को जहां 5-5 लाख रुपए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देने का ऐलान किया वहीं मन की बात में प्रधानमंत्री आतंक पीड़ित परिवारों को दंगा पीड़ितों की तरह 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने के नाम पर भाषण देकर चुप हो गए।
आतंक पीड़ित परिवारों को करीब 1300 करोड़ रुपए जारी किए जाने हैं लेकिन ‘सी.एम.’ व ‘पी.एम.’ (पंजाब सरकार व केन्द्र सरकार) के कार्यालयों के बीच फाइलें चक्कर काट रही हैं।रविवार को कंपनी बाग में आतंक पीड़ित परिवारों ने ‘ऑल इंडिया आतंकवाद पीड़ित एसोसिएशन’ के मंच पर एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने के लिए दिल्ली कूच करने की घोषणा की। इस मौके पर शहर के बड़े होटल व्यवसायी चंद्रशेखर शर्मा, संजय लक्ष्मण बाली समेत शहर के कई गण्यमान्य मौजूद थे।
पी.एम. से सी.एम. ऑफिस के बीच फंसा पेंच
आतंक पीड़ितों को मुआवजे की राशि को लेकर पी.एम. ऑफिस से सी.एम.ऑफिस के बीच पेंच फंसा दिख रहा है। मामला वित्त मंत्री अरुण जेतली के पास भी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संज्ञान में भी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से सैक्रेटरी गवर्नमैंट ऑफ इंडिया (मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स), पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बीच पत्राचार हो चुका है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंजाब सरकार के चीफ सैक्रेटरी को चिट्ठी में लिखा है कि 1982 से 1995 तक पंजाब में 10,636 मौतें आतंक से हुई हैं, 908 घायल हैं और 17420 परिवार पलायन कर चुके हैं।
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