प्राइवेट मिलों के प्रति सरकार के ढीले रवैये के बादल गन्ना काश्तकारों पर लगे मंडराने

punjabkesari.in Tuesday, Nov 13, 2018 - 09:26 AM (IST)

होशियारपुर(घुम्मण): प्राइवेट मिलों प्रति सरकार के ढीले रवैये के बादल गन्ना काश्तकारों पर मंडराने लग पड़े हैं। इसे लेकर किसानों में हाहाकार मची हुई है। किसान हाईवे जाम करने की सरकार को चेतावनियां दे रहे हैं।

गन्ना काश्तकारों की इस अफरा-तफरी से पंजाब का शांत माहौल खराब होने जा रहा है। क्योंकि पंजाब में चल रही प्राइवेट शूगर मिलों में जिनकी क्षमता सहकारी को-आप्रेटिव मिलों से ज्यादा है और जो लगभग 80 फीसदी गन्ने की पेराई करती हैं, जबकि सहकारी को-आप्रेटिव मिल करीब 20 फीसदी गन्ना पेराई कर रही हैं। सरकार की तरफ से को-आप्रेटिव मिलों को चलाने का तो प्रयास किया जा रहा है परंतु प्राइवेट मिलों वाले अपनी शर्तों पर अड़े होने के चलते अभी तक गन्ना बाऊंड भी नहीं कर रहे, फिर भी सरकार की तरफ से उनके ऊपर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा। 

मिलों वाले कह रहे हैं कि शूगर का रेट कम होने के चलते वे 310 रुपए की अदायगी नहीं कर सकते, सिर्फ 275 रुपए अदा कर सकते हैं, बाकी सहायता उनको सरकार दे जिस तरह को-आप्रेटिव मिलों को दी जाती है परंतु सरकार इस प्रति अभी तक अपना कोई भी पत्ता नहीं खोल रही, जिसको लेकर किसानों की ङ्क्षचताएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं जबकि गन्ने का सीजन सिर पर आ गया है। अगर सरकार ने इस संबंधी अपनी खामोशी न तोड़ी तो किसानों का गुस्सा रंग दिखा सकता है क्योंकि इस बार गन्ने की फसल पिछले समय से अधिक है।

किसान कम रेट पर गन्ना बेचने के लिए मजबूर
किसान प्राइवेट मिलों के रवैये को देखते हुए मिनी चीनी मिलों से जाने जाते गुड़ बनाने वाले बेलने पर अपना गन्ना देने के लिए मजबूर हैं व इन बेलने वाले किसानों को दोनों हाथों से लूट रहे हैं जो कि 200 या 220 से कम रेट नहीं दे रहे।

क्या कहते हैं केन कमिश्नर पंजाब
जब प्राइवेट मिलों को चलाने के संबंध में केन कमिश्नर पंजाब जसवंत सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मिलें चलाने संबंधी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में भेजी जा चुकी है। प्राइवेट मिलों को मिलें चालू करने की हिदायत दी है। मिलें चलाने संबंधी हम पिछले समय के दौरान मिलों के जनरल मैनेजरों के साथ बैठक भी कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि पिछली गन्ने की बकाया राशि 112 करोड़ रुपए किसानों को एक महीने की अंदर दिलाई है व बाकी रहती बकाया राशि रोजाना डेढ़ से 2 करोड़ रुपए प्रतिदिन किसानों के खाते में पाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी हम मिलों को चलाने संबंधी सैक्रेटरिएट में जा रहे हैं व हमें किसानों की पूरी चिंता है क्योंकि उन्होंने बहुत मेहनत की है। हम हर हाल में प्राइवेट मिलों को चालू करके जिन मिलों के पास सरप्लस गन्ना है, उनका गन्ना नजदीकी अधिक समर्था वाली मिलों को अलॉट किया जाएगा। 
 


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