जेल के सुरक्षा टावरों की हालत जर्जर, केवल 1 टावर स्थापित करने को मिली मंजूरी

punjabkesari.in Sunday, Nov 11, 2018 - 05:28 PM (IST)

लुधियाना (स्याल): लगभग ढाई किलोमीटर के क्षेत्रफल में स्थापित जेल की चारदीवारी के भीतर कैदी व विचाराधीन कैदी हजारों की संख्या में विभिन्न बैरकों में रहते हैं। जिनकी समय-समय पर बंदी खुलती व बंद होती रहती है। मगर इनकी गिनती के मुकाबले गार्द की कमी हमेशा खलती रहती है। कई बार जेल में इस तरह की परिस्थितियां उत्पन हो जाती है। जिसके चलते बंदियों की सुरक्षा में तैनात कम गिणती कर्मचारियों को स्थिती से निपटना मुश्किल हो जाता है। परंतु इन सबसे महत्वपूर्ण ताजपुर रोड की सैंट्रल जेल के अन्दर कैदियों व विचाराधीन कैदियों के साथ दीवार के बाहरी रास्ते पर प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जेल के विभिन्न विभिन्न भागों में स्थापित टावरों पर सुरक्षा कर्मचारियों की होती है। मगर इन टावरों की हालत इतनी जर्जर बनी हुई है कि कर्मचारियों को दिन या रात्रि के समय डयूटी करना भी किसी खतरे के कम नहीं है। क्योंकि इनकी छतें कई स्थानों पर टूटी हुई हैं। 

जेल के सुरक्षा टावरों की हालत जर्जर
जेल की सुरक्षा हेतु स्थापित टावरों की खस्ता हालत के साथ खिड़कियों पर लगे शीशों की बजाए कपड़ों से ढका हुआ है। क्योंकि सर्दी का मौसम शुरू होते है ठंडी हवाएं चलने से कर्मचारी बीमारीयों की चपेट में आ रहे हैं। जिसके कारण रात को टावरों पर बिजली की लाईट के साथ नीचे बने बाथरूम की हालत भी बेहद खराब है और पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। एक कर्मचारी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जेल के टावरों पर कम से कम दो कर्मचारियों की तैनाती होना अवश्यक है क्योंकि एक डियूटी करने वाले कर्मचारी को लगातार डियूटी करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर वह बाथरूम जाता है तो पीछे से कुछ असामाजिक तत्व पैकेट फैंकने जैसी घटनाओं को इन्जाम देकर फरार हो जाते हैं।

99 ऐकड़ में 5 सुरक्षा टावर सुरक्षा की दृष्टि से कम 
99 ऐकड़ के लगभग सैंट्रल जेल, महिला जेल व ब्रौस्टल जेल के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों के कैम्पस भी स्थापित हैं। लेकिन इतने ऐकड़ में सुरक्षा कर्मचारियों को जेल के अन्दर व बाहर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 5 टावरों पर डियूटी करते हैं। इसके साथ उक्त जेल में कोई कोट मौका यानि जेल की बांऊडरी वाल डबल नहीं की हुई है। वर्णनीय है कि 31 मार्च 2018 को पंजाब एंड हरियाणा कि दो चीफ जस्टिसों ने जेल का दौरा किया था और हैरानी प्रकट की थी कि जेल की दीवार अन्दर के रास्ते से बहुत कम है। इस पर उन्होने जेल अधिकारियों को कुछ निर्देश भी जारी किए थे। 

200 मीटर दीवार का निर्माणकार्य ना होना सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर
जेल कैम्पस की नई बांऊडरी वाल बना कर कटीली तारें तो लगा दी गई है लेकिन एक 200 मीटर की दीवार का निर्माण कार्य नहीं किया गया है। उक्त निर्माणकार्य ना होने से जेल अधिकारी सुरक्षा की दृष्टी से कमजोर मान रहे हैं। क्योंकि कुछ समय पहले उसी दीवार को फांदकर जगराओं पुलिस गार्द द्वारा लाया एक बंदी हथकड़ी समेत फरार हो चुका है। सुत्र बताते हैं कि उन्होने इस दीवार का निर्माण करवाने के लिए कई बार ठेकेदार से अपील भी की लेकिन उसके कानों तक जूं नही सिरक रही है। 

पीसीआर पैट्रोलिंग के बावजूद फिर फेंका गया पैकेट 
जेल दीवार के बाहरी रास्ते से पीसीआर की पैट्रोलिंग गस्त होने के बावजूद भी कुछ असामाजिक तत्व जेल के अन्दर पैकेट फैंकने जैसी घटनाओं को अन्जाम देने में सफल हो रहे हैं। इसी के चलते आज 1:50 के लगभग कुछ असामाजिक तत्व ऐसी घटनाओं के अन्जाम देकर फरार हो रहे थे तो इसकी भनक कर्मचारियों को लगने के बावजूद उक्त तत्व हाथ नहीं आए। 

सुपरीडैंट के पत्र के बाद 1 टावर की मिली मंजूरी
जेल के सुपरीडैंट शमशेर सिंह बोपाराए ने जस्टिसों के निर्देशों का संज्ञान लेते हुए जेल विभाग को एक पत्र लिखकर उक्त स्थिती से अवगत करवाया था और जेल के विभिन्न स्थानों पर 5 नए टावर स्थापित करवाने की मांग की थी। जिसके चलते विभाग की ओर से 5 टावरों की बजाए 1 टावर स्थापित करने की अनुमति मिली। जिसपर 8 लाख रूपए के लगभग की राशि खर्च होने की संभावना है और यह सुरक्षा टावर का निर्माणकार्य शीर्घ ही शुरू हो जाएगा। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Mohit

Recommended News

Related News