पटाखे और पराली जलाने से हवा में घुला जहर

punjabkesari.in Sunday, Nov 11, 2018 - 05:08 PM (IST)

फाजिल्का/जलालाबाद (नागपाल, गोयल): इन दिनों आसमान प्रदूषण की चादर से ढंका हुआ है। सुबह से लेकर शाम तक हवा में घुली जहर से लोगों का सांस लेना मुश्किल होने लगा है। दीवाली दौरान पटाखों और इससे पहले व बाद में किसानों द्वारा पराली को जलाए जाने से इलाके में तेजी से प्रदूषण बढ़ा है। यहां की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब स्थिति में है। शनिवार को तो स्थिति और भी भयावह रही। हाल फिलहाल हालात में कोई बदलाव आने की संभावना नजर नहीं आ रही। आज दिन भर क्षेत्र में प्रदूषण की चादर आसमान में छाई रही। लोगों को हवा में घुले प्रदूषण का एहसास हुआ तो अनेक लोग घरों में ही दुबके रहे। फिलहाल लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहन कर या रूमाल से मुंह ढंक कर चलने लगे हैं।  

बढ़ेंगी मुश्किलें
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही आसमान में फैली जहरीले धुएं की परत नहीं हटती तो मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं और बीमारियों में बढ़ौतरी होगी। चिकित्सकों के अनुसार लोगों को सांस व खांसी की दिक्कत हो सकती है। यह जहरीला धुआं सांस की बीमारियों व हृदय रोगियों के लिए बेहद घातक है। 

बारिश की दुआ कीजिए
फाजिल्का जिले में पिछले काफी दिनों से बारिश नहीं हुई है। आसमान में फैले जहरीले धुएं को खत्म करने के लिए बारिश की बहुत जरूरत है। लोगों का कहना है कि बारिश होने से एकदम से ठंड बढ़ जाएगी, लेकिन उन्हें जहरीले धुएं से राहत अवश्य मिल जाएगी।

वाहन चालक परेशानी में
इस जहरीले धुएं के कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी हो रही है। यह धुंधनुमा जहरीला धुंआ आसमान में ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है जिस कारण साफ दिखाई नहीं देता। ऐसे में छोटे व बड़े वाहन चालकों को दिन में भी लाइटें जलाकर चलना पड़ रहा है। इससे सड़क हादसों का खतरा और भी बढ़ गया है। 

पराली जलाने से होने वाला नुक्सान 
उल्लेखनीय है कि एक टन पराली जलाने से 3 किलो धूल के कण, 60 किलो कार्बन मोनोअक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाई आक्साइड और 2 किलो सल्फर डाई आक्साइड आदि जहरीली गैंसें पैदा होती हैं। 

पराली को जलाने की बजाय उसे बेचें या दान करें
सरकार, कृषि विभाग व जिला प्रशासन द्वारा पराली न जलाने के लिए पिछले काफी समय से किसानों को जागरूक किया जा रहा था। वहीं पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पराली न जले, इसके लिए सरकार को सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। सरकार व कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसान पराली न जलाकर इससे आॢथक लाभ ले सकते हैं। किसानों को चाहिए कि वे पराली को जलाने की बजाय उसे बेचें। अगर वह बेचना नहीं चाहते तो वे पराली को गौशाला में दान दे सकते हैं। इसके अलावा वे अपने पशुओं के लिए पराली को प्रयोग कर सकते हैं। किसानों का कहना है कि पराली को खेतों में ही प्रयोग से काफी समय और आर्थिक नुक्सान होता है। अगर सरकार किसानों को पराली न जलाने के एवज में प्रति एकड़ मुआवजा दे तो पराली का सही प्रयोग हो सकता है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Mohit

Recommended News