चिदंबरम का सरकार पर निशाना, रिजर्व बैंक की पूंजी रूपरेखा सही करने की हड़बड़ी क्यों?
punjabkesari.in Sunday, Nov 11, 2018 - 01:58 PM (IST)
नई दिल्लीः पूर्व वित्तमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने रिजर्व बैंक की पूंजी रूपरेखा को सही करने की केंद्र सरकार की हड़बड़ी को रविवार को निशाने पर लिया। उन्होंने पूछा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के महज 4 महीने बचे हैं, ऐसे में यह हड़बड़ी किसलिए।
If the government does not need any more money this financial year, why is it mounting pressure on RBI in the last 4 months of its tenure? Why did it keep silent for 4 years and 6 months?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 11, 2018
चिदंबरम ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए रिजर्व बैंक से कथित तौर पर पैसे मांगने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार 4 साल और 6 महीने पूरा कर चुकी है। प्रभावी तौर पर इसके पास अब महज 4 महीने बचे हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक की रूपरेखा को सही करने की क्या हड़बड़ी है?’’ उन्होंने कहा कि यदि सरकार को चालू वित्त वर्ष में और पैसे की जरूरत नहीं है फिर वह अपने कार्यकाल के बचे चार महीनों में रिजर्व बैंक पर दबाव क्यों बना रही है।
NDA government has competed 4 years and 6 months of its term. It has effectively 4 months left. What is the tearing hurry to “fix” the capital framework of RBI?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 11, 2018
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार चार साल और छह महीने तक चुप क्यों बैठी रही?’’ चिदंबरम ने कहा, सरकार दावा करती है कि उसका वित्तीय गणित सही है और हल्ला करती है कि उसने 2018-19 के दौरान 70 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेने का इरादा त्याग दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसा है तो सरकार को इस साल रिजर्व बैंक से पैसे की जरूरत क्यों पड़ रही है?’’ केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ जारी विवाद को लेकर शुक्रवार को सफाई देते हुए कहा था कि वह रिजर्व बैंक से पैसे की मांग नहीं कर रही है बल्कि केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित कोष की मात्रा पर बातचीत कर रही है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इस बीच स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को ट्वीट में कहा कि सरकार को पैसे की कोई दिक्कत नहीं है और रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपए की पूंजी मांगे जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। गर्ग ने कहा, ‘‘वर्ष 2013-14 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत के बराबर था। उसके बाद से सरकार इसमें लगातार कमी करती आ रही है। हम वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में राजकोषय घाटे को 3.3 तक सीमित कर देंगे। सरकार ने दरअसल बाजार से 70 हजार करोड़ रुपए जुटाने की योजना को भी छोड़ दिया है।’’ गर्ग ने कहा कि इस समय, ‘‘केवल एक प्रस्ताव पर ही चर्चा चल रही है और वह रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी की व्यवस्था तय करने की चर्चा है।’’