पराली के धुएं से पैदा हुई धुंध ने जनजीवन किया प्रभावित

punjabkesari.in Sunday, Nov 11, 2018 - 09:37 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): किसानों द्वारा धान की पराली और अवशेष को बड़े स्तर पर आग लगाने से इस क्षेत्र या हलके में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में धुएं के कारण जहां वातावरण प्रदूषित हुआ, वहीं धुएं की धुंध की तरह एक घनी परत पूरे वातावरण में फैली हुई है। इस दौरान सूरज भी मद्धम दिखाई देता है और दिन छिपने से पहले ही अंधेरा छा जाता है, जिस कारण सड़कों पर चलने वाले वाहनों को दिन के समय भी लाइटें चला कर चलना पड़ रहा है, जिससे जहां सांस लेने में बड़ी मुश्किल आ रही है, वहीं आंखों में जलन होने के कारण देखने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

इसके अलावा सांस, जुकाम, खांसी, बुखार आदि बीमारियों में काफी बढ़ौतरी हुई है। इसकी गिरफ्त में सबसे ज्यादा बुजुर्ग और बच्चे आए हैं। इस पराली के धुएं से पैदा हुई धुंध ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित करके रख दिया है। जब इस संबंधी कुछ आग लगा रहे किसानों के साथ बात की गई तो उन्होंने ऐसा करने को अपनी मजबूरी बताते हुए अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वे जानते हैं कि पराली जलाने से हमारा आसपास ही नहीं बल्कि पूरा वातावरण खराब होता है परन्तु इस खराब हुए वातावरण का सबसे पहले शिकार वे स्वयं और इसके बाद उनके बच्चे तथा परिवार ही होते हैं, जो इस धुएं से गुजरते हैं। फिर कहीं जाकर यह धुआं बाहर के राज्यों तक पहुंचता या नहीं, इस बारे वे कुछ नहीं जानते हैं।

क्या कहना है मैडीकल अफसर का

जब इस संबंधी मैडीकल अफसर के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस पराली के धुएं में से कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें निकलती हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत आती है और आंखों में जलन होने लगती है। इसलिए हमें इससे बचाव के लिए नाक पर मास्क आदि डालने जरूरी है और जितना हो सके इस मौसम में खासकर बच्चों को कम से कम बाहर जाने दें।


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swetha

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