कर्नाटक उपचुनाव: BJP के लिए खतरे का संकेत है बेल्लारी की हार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 07, 2018 - 06:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  कर्नाटक में विधानसभा के दो और लोकसभा के तीन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों का राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति पर कोई खास प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। लेकिन बेल्लारी की हार बीजेपी के लिए खतरे का संकेत है। इन चुनावों में दो बातों की परीक्षा होनी थी। एक, कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन कितना मजबूत है और मतदाता के मन में उसकी छवि कैसी है। दूसरे, राज्य विधानसभा में बीएस येदियुरप्पा का प्रभाव कितना बाकी है। राज्य में गठबंधन सरकार फिलहाल सुरक्षित है। पर 2019 के चुनाव के बाद स्थिति बदल भी सकती है। बहुत कुछ दिल्ली में सरकार बनने पर निर्भर करेगा।
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लोकसभा की तीनों सीटों पर चुनाव औपचारिकता भर है। ज्यादा से ज्यादा 6-7 महीनों की सदस्यता के लिए चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं। अलबत्ता ये चुनाव 2019 के कर्टेन रेजर साबित होंगे। कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों की 2019 में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। 2014 के चुनाव में यहां से बीजेपी ने 17 सीटें जीतीं थीं और कांग्रेस ने 9। बीजेपी को कांग्रेस के गठबंधन से जिन राज्यों में चुनौती का सामना करना है, उनमें कर्नाटक भी एक है।

कर्नाटक के गठबंधन में भी तमाम अंतर्विरोध हैं, पर दोनों पार्टियों का अस्तित्व फिलहाल गठबंधन पर टिका है। सामान्यत: उपचुनावों में सत्तारूढ़ दलों को ही सफलता मिलती है। बेल्लारी सीट पर बीजेपी की पराजय का सांकेतिक महत्व है। पिछले तीन चुनावों में बीजेपी यहां से जीतती रही है। यह रेड्डी बंधुओं का क्षेत्र है, जो धन और बल से बीजेपी के मुख्य सहायक रहे हैं। 
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बेल्लारी
परंपरा से यह सीट कांग्रेस की हुआ करती थी। सन 1999 में यहां से सोनिया गांधी ने सुषमा स्वराज को हराया था। यहां पर उपचुनाव इसलिए हुआ, क्योंकि बीजेपी के सदस्य श्रीरामुलु ने लोकसभा सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में पार्टी ने उनकी बहन जे शांता को प्रत्याशी बनाया। पर वे कांग्रेस के उम्मीदवार वीएस उग्रप्पा से हार गईं।
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रामनगरम और जमखंडी विधानसभा
विधानसभा की रामनगरम सीट से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी जीतीं। यहां बीजेपी ने वस्तुत: उन्हें वॉक-ओवर दिया है, क्योंकि पार्टी के उम्मीदवार एल चंद्रशेखर चुनाव के दो दिन पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। 
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दूसरे राज्यों पर भी हो सकता है असर
इन नतीजों से गठबंधन की राजनीति को ताकत मिलने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे। कांग्रेस-जे.डी.एस. का पहले से ही मानना है कि इन राज्यों के चुनावों पर कर्नाटक उपचुनाव का असर पड़ेगा। ऐसे में, मिली जीत गठबंधन के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। 

- बेंगलुरु से प्रमोद जोशी


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Seema Sharma

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