Kundli Tv- मरने के बाद इस मंदिर में होती है आत्मा की पेशी
punjabkesari.in Monday, Nov 05, 2018 - 01:30 PM (IST)
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पौराणिक ग्रंथों में इस सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु को बताया गया है। सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले भगवान विष्णु को तो हर कोई याद करता है और उनका पूजा-पाठ करता है लेकिन क्या आप में से किसी ने उनको याद किया है, जो हमें मोह-माया के इस जाल से मुक्त करता है। हम बात कर रहे हैं यमराज की जो हमारे पाप-पुण्य का फै़सला सुनाता है और दुनिया रूपी बंधन से हम सबको मुक्त करवाता है।
हिंदू धर्म में दंड के तीन देवता हैं यमराज, शनिदेव और भैरव। मार्कण्डेय पुराण में यमराज को दक्षिण दिशा के दिक्पाल और मृत्यु का देवता कहा गया है। अन्य ग्रंथों में भी इनका विवरण अनोखे रूप में पढ़ने-सुनने को मिलता है। आपको बता दें कि यमराज की सवारी भैंसा है और इनके हाथ में गदा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज के मुंशी चित्रगुप्त हैं, जिनके माध्यम से वे सभी प्राणियों के कर्मों और पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां इंसान को मृत्यु के बाद ले जाया जाता है। यहां चित्रगुप्त द्वारा हर जीव के कर्मों का हिसाब दिया जाता है। जिसके बाद यमराज जीव द्वारा किए गए कर्मों के हिसाब से उसका फै़सला करता है। आइए जानते हैं यमराज के इस मंदिर के बारे में-
यह स्थान भरमौर में यम मंदिर के नाम से जाना जाता है। यमराज का ये मंदिर हिमाचल प्रदेश में चम्बा के भरमौर नामक स्थान पर स्थित है। कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को यहां दीये जलाकर यमराज को प्रसन्न किया जाता है। देखने में यह एक घर जैसा दिखाई देता है। यहां यमराज के साथ-साथ चित्रगुप्त भी विराजमान हैं। यहां की लोक मान्यताओं की मानें तो जब इंसान की मौत हो जाती है, तो यमदूत उसकी आत्मा को इसी मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त जीव के अच्छे और बुरे कामों का हिसाब करते हैं। फिर आत्मा को चित्रगुप्त के सामने वाले कक्ष में यमराज के पास लेकर जाया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है। यहां यमराज आत्मा के कर्मों के अनुसार फै़सला करता है।
माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर ही चार और द्वार हैं जो कि गुप्त हैं। ये द्वार सोना, चांदी, तांबे और लौहे के बने हुए हैं। आत्मा के कर्म अनुसार ही उसे इन द्वारों से पार करवाते हुए स्वर्ग और नरक ले जाया जाता है। आपकोे बता दें कि गरुड़ पुराण में भी यमराज के इन चार द्वारों का उल्लेख किया गया है।
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