Kundli Tv- इस मंदिर का ये 3500 साल पुराना पेड़ आज भी है हरा-भरा

punjabkesari.in Sunday, Nov 04, 2018 - 03:59 PM (IST)

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हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में मां पार्वती जी के बारे में अच्छे से विस्तार किया गया है। इसमें बताए वर्णन के अनुसार माता पार्वती जी को बचपन में ही अपने पूर्व जन्म का आभास हो गया था। कहते हैं कि 8 साल की उम्र में ही उन्होंने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। माना जाता है कि जहां-जहां उन्होंने शिव जी को पाने के लिए तप किया वहां वहां शिव के मंदिर स्थापित हो गए। तो आज हम आपको एक एेसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे है, जहां मां पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी। आज की तारीख में इसी जगह पर शिव जी के तमाम मंदिरों में से सबसे विशाल मंदिर स्थापित है। तो आइए जानतें हैं भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़े इस मंदिर के कुछ दिलचस्प रहस्य।
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वैसे अगर आमतौर पर बात करें तो दक्षिण भारत में मंदिरों की कमी नहीं है। यही नहीं बल्कि देशभर के सबसे प्राचीन मंदिर दक्षिण भारत में ही देखने को मिलते हैं। इन्हें में से एक है एकम्बरनाथर मंदिर, जो तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। बता दें कि इस प्राचीन मंदिर को एकाम्बरेश्वर से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण हज़ारों साल पहले हुआ था। ये भवन 40 एकड़ तक फैला हुआ है और 11 मंजिल ऊंचा है। इस मंदिर को शिव जी के 5 पवित्र मंदिरों में से एक का दर्जा भी प्राप्त है। 
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मंदिर की खास बात यह है कि इस परिसर के पीछे एक आम का पेड़ है जो कि लगभग 3500 साल पुराना है। मान्यता के अनुसार ये वही पेड़ है यहां मां पीर्वती ने शिवलिंग के रूप में शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें पत्नि के रूप में स्वीकार किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने उन्हें इसी आम के पेड़ में दर्शन दिए थे। इसी कारण इसका नाम एकंबरेश्वर पड़ा। 
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हैरान करने वाली बात यह है कि 3500 साल आम का पेड़ आज भी हरा भरा देखा जा सकता है। यह पेड़ चार भेदों का प्रतीक माना गया है इसके फ़ल मीठे, खट्टे, तीखे और कड़वे होते हैं। यहां माता पार्वती द्वारा निर्मित शिवलिंग भी स्थापित है और कहा जाता है कि उस पर माता पार्वती के हाथ के निशान बने हुए हैं।
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इस मंदिर के देवता एकाम्बरेश्वर रुद्राक्ष मंडप में स्थित है। इस मंडप की छत 5008 रुद्राक्ष से बना हुआ है। यह सुबह 6 से दोपहर 12.30 और शाम को 4 से 8.30 बजे तक खुलता है। मंदिर के अंदर विष्णु भगवान की प्रतिमा भी विराजमान है्ं। इसके साथ ही यहां गणेश जी का भी एक छोटा सा मंदिर है और तालाब भी है। यहां और भी कई छोटे-छोटे मंदिर भी बने हैं। बता दें कि इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि यहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल से नहीं बल्कि तेल से किया जाता है।
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Jyoti

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