ऑफ द रिकार्ड: PM ने नहीं, नाराज डोभाल ने की आलोक वर्मा की छुट्टी

punjabkesari.in Saturday, Nov 03, 2018 - 11:19 AM (IST)

नई दिल्ली: आलोक वर्मा को जब्री छुट्टी पर पी.एम. ने नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ही भेजा। इस घटनाक्रम से पहले डोभाल और वर्मा के बीच करीब एक घंटे तक बैठक हुई जिस दौरान वर्मा पर फैसला हुआ। इस दौरान डोभाल ने वर्मा को कहा कि मैं ही आपको सी.बी.आई. में लाया और आपने ही यह काम किया। इसके अलावा उन्होंने अस्थाना के खिलाफ दायर एफ.आई.आर. में सामंत कुमार गोयल का नाम जोडऩे को कहा। यद्यपि सरकार वर्मा से अस्थाना के खिलाफ उनके छद्म युद्ध से कई महीने पहले ही बहुत नाराज थी। वह वर्मा ही थे जिन्होंने अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। 

PunjabKesari

दोनों अधिकारियों के बीच युद्ध साल भर से चल रहा था और एजैंसी गुटों में बंट गई थी और सरकार सब जानते हुए भी मूकदर्शक बनी हुई थी, इस आशा के साथ कि वर्मा की रिटायरमैंट का वक्त नजदीक आ रहा था, ऐसे में सरकार को आशा थी कि आलोक संस्था को कोई क्षति नहीं पहुंचाएंगे लेकिन वर्मा को उनके कनिष्ठ अधिकारियों ने परेशान किया। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। यही नहीं, उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार तक किया गया।


PunjabKesari

वर्मा ने नहीं उठाया डोभाल का फोन
जब अजीत डोभाल ने 21 अक्तूबर की रात को वर्मा से अपना त्यागपत्र देने को कहा तो उस पर वर्मा ने कहा कि मैं इसे भेज दूंगा और छुट्टी पर चला जाऊंगा। बहुत तेज-तर्रार पूर्व आई.बी. चीफ जो वर्तमान में पी.एम.ओ. में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं, ने वर्मा को कहा कि वह अपना त्यागपत्र अभी मेल या फैक्स के जरिए भेजें लेकिन कार्यालय जाने की बजाय वर्मा घर चले गए। ऐसा माना जा रहा है कि आधी रात तक वर्मा ने अपना इस्तीफा नहीं भेजा था। डोभाल ने उस वक्त सोचा कि वह शायद सोमवार 22 अक्तूबर को कार्यालय पहुंच कर ही अपना त्याग पत्र भेजेंगे। 

PunjabKesari


डोभाल ने जब वर्मा को फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। सी.वी.सी. को उस दिन अपनी जांच करने को कहा गया। कैबिनेट सचिव के आदेश के बाद वर्मा के खिलाफ जांच पहले से ही शुरू हो गई थी। अब माना जा रहा है कि सी.वी.सी. का कार्यालय रात 11.30 बजे तक खुला रहा और 8 पेजों की रिपोर्ट भी तैयार की गई जो उसी रात मुख्य सचिव को भेजी गई जो शायद उस वक्त भी कार्यालय में मौजूद थे। इसके बाद मुख्य सचिव ने मामले को कार्मिक विभाग के सचिव सी. चंद्र मौली व गृह सचिव राजीव गुआबा से डिस्कस किया। इसके बाद कार्रवाई की रिपोर्ट पी.एम. के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को भेजी गई। कुल मिलाकर यह समूची प्रक्रिया करीब 2 घंटे में पूरी हुई। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News