Kundli Tv- प्रयागराज ही नहीं यहां का भी कुंभ मेला है बेहद ख़ास

punjabkesari.in Monday, Oct 29, 2018 - 05:08 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
अतीत से जुड़े पन्नों के अनुसार इस किले का निर्माण देवगिरी के यादव राजवंश के दौरान किया गया था। लगभग 1271 से लेकर 1308 तक यह यादवों के अधीन रहा जिसके बाद इस पर बहमनी सल्तनत और अहमदनगर की निजामशाही का कब्जा हुआ। 
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नासिक और उसके आसपास के इलाके को पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। अपने महाकुंभ मेले के लिए यह शहर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस शहर का अपना अलग ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व तो है ही, नासिक सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास माना जाता है। तीर्थ नगरी के नाम से लोकप्रिय नासिक में कई और भी जगहें हैं जो धर्म कर्म से इतर घुमक्कड़ी का शौक रखने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। ऐसी ही जगहों में एक है नासिक स्थित प्राचीन किला भास्कर फोर्ट। गोदावरी नदी के तट पर स्थित नासिक, महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण शहर है। हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। कुंभ के दौरान यहां का नजारा देखने लायक होता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां श्रद्धालु एक साथ गोदावरी नदी में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान करते हैं। यह शहर तीर्थनगरी के नाम से जाना जाता है। 
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त्र्यंबकेश्वर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है लेकिन इसके अलावा इस शहर का अपना वृहद इतिहास भी है, जो कई सौ साल पुराना है। जानकारी के अनुसार यह प्राचीन समय में गुलशनबाद के नाम से जाना जाता है। अतीत से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजों को यहां आज भी देखा जा सकता है। नासिक में ही स्थित एक ऐतिहासिक किला है जिसे भास्करगढ़, भास्कर फोर्ट या बासगढ़ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह किला नासिक के इगतपुरी से 48 कि.मी. की दूरी पर त्र्यंबक पहाड़ी शृंखला में स्थित है।

अतीत से जुड़े पन्नों के अनुसार इस किले का निर्माण देवगिरी के यादव राजवंश के दौरान किया गया था। लगभग 1271 से लेकर 1308 तक यह यादवों के अधीन रहा जिसके बाद इस पर बहमनी सल्तनत और अहमदनगर की निजामशाही का कब्जा हुआ। 1619 में शाहजी राजे ने बीजापुर के मोहम्मद आदिल शाह पर चढ़ाई की और किले पर अधिकार कर लिया। बाद में यह किला फिर से आदिल शाह के पास चला गया। 1688 में यह किला मुगलों के साम्राज्य में शामिल हुआ और बाद में मराठा शासकों ने मुगलों को हराकर इस किले पर अपनी पताका फहराई थी। इस किले को लेकर इतिहास में कई लड़ाइयां दर्ज हैं।
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चूंकि यह एक ऐतिहासिक किला है और पहाड़ी पर स्थित है इसलिए यहां साल भर ट्रैकर्स और इतिहास प्रेमियों का आवागमन लगा रहता है लेकिन अगर आप अनुकूल मौसम में यहां का भ्रमण करना चाहते हैं तो आप अक्तूबर से मार्च के मध्य यहां आ सकते हैं। ग्रीष्म काल के दौरान यह स्थल काफी ज्यादा गर्म हो जाता है। आप यहां मॉनसून के दौरान भी आ सकते हैं।
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इसलिए है खास 
भास्करगढ़ किले का भ्रमण कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। यह स्थल प्राकृतिक, ऐतिहासिक और एडवैंचर के लिहाज से काफी खास माना जाता है। एक प्रकृति प्रेमी से लेकर रोमांच का शौक रखने वालों के लिए यहां बहुत कुछ उपलब्ध है। इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल किसी खजाने से कम नहीं। अगर आप एडवैंचर का शौक रखते हैं तो यहां ट्रैकिंग और हाइकिंग का रोमांच भरा अनुभव ले सकते हैं। अगर आप फोटोग्राफी का शौक रखते हैं तो यहां के शानदार दृश्यों को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। इसके अलावा आप यहां पास में स्थित हनुमान मंदिर के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकते हैं।
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पहुंचना है आसान 
चूंकि यह नासिक के पास स्थित है इसलिए आप यहां सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। नासिक का अपना हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन भी है इसलिए आप यहां हवाई और रेल मार्गों की मदद से पहुंच सकते हैं। नासिक पहुंचने के बाद प्राइवेट टैक्सी या कैब की मदद से किले के आधार तक पहुंच सकते हैं। पहाड़ी के नीचे दहेलपड़ गांव है, जहां से आपको किले तक ट्रैकिंग के जरिए पहुंचना होगा। लगभग 1 घंटे की ट्रैकिंग के जरिए आप आसानी से किले तक पहुंच सकते हैं। एक प्रकृति प्रेमी से लेकर रोमांच का शौक रखने वालों के लिए यहां बहुत कुछ उपलब्ध है। इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल किसी खजाने से कम नहीं। 
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Niyati Bhandari

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