Kundli Tv- करवाचौथ से जुड़ी ये खास बात शायद ही जानते होंगे आप

punjabkesari.in Friday, Oct 26, 2018 - 12:10 PM (IST)

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पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से जानी जाने वाली कार्तिक कृष्ण-चतुर्थी का लोक प्रचलित नाम ही ‘करवा चौथ’ है। इस पर्व में अतीत की प्राचीन संस्कृति और परंपराएं तथा उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षाएं भरी रहती हैं। ‘करवाचौथ’ सुहाग की मंगलकामना से जुड़ा एक सर्वाधिक लोकप्रिय पर्व है जिसका इंतजार हर विवाहित स्त्री को बड़ी बेसब्री से रहता है क्योंकि इस दिन औरतें व्रत रखकर अपने पति व सुहाग की दीर्घायु व सर्व सम्पन्नता की कामनाएं करती हैं। यह व्रत केवल सुहागिनें ही नहीं बल्कि कुंवारी विवाह योग्य कन्याएं भी रखती हैं। 
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सरगी का वैज्ञानिक आधार
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘सदा सुहागन रहो ’ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं। जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मट्ठियां, सेवियां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती है। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है। फीकी मट्ठी ऊर्जा प्रदान करती है और रक्तचाप बढ़ने नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं। 
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मिठाई सास-बहू के संबंधों में मधुरता लाने का जहां प्रतीक है, वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती जिससे शरीर पूरी क्षमता से कार्य करता है और व्रत बिना जल पिए सफल हो जाता है। यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है ताकि वैवाहिक जीवन में कठिन व विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगिनी पति का साथ निभा सके। भूखे प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति में पर्वों के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षण है। चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है अत: चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में शीतलता का संचार होता है।
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Niyati Bhandari

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