Kundli Tv- करवा चौथ: पति-पत्नी कर लें एक-दूसरे से ये 5 वादे, सात जन्मों तक नहीं छूटेगा साथ

punjabkesari.in Thursday, Oct 25, 2018 - 12:52 PM (IST)

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27 अक्टूबर 2018 कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व की धूम पूरे भारत में देखने को मिलती है। करवा चौथ महिलाओं का पर्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन व्रत रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच आपसी रिश्ते को मज़बूत बनाने और एक-दूजे के प्रति सम्मान जगाने का प्रतीक है। इस भावना के साथ कि 'मैं तुम्हारे साथ हूं, हर परिस्थिति में, हर घड़ी'। तो अगर आप भी अपने सात जन्मों के इस रिश्ते को और मज़बूत करना चाहते हैं तो पति-पत्नी दोनों को ये 5 संकल्प ज़रूर लेने चाहिए ताकि ताउम्र उनका प्यार बना रहे। 
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कहा जाता है कि पुरुष व स्त्री सिक्के के दो पहलू समान हैं। उनका पारस्परिक संयोग सृजन और जीवन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों को बनाए रखने में सक्षम है। हर व्यक्ति अपने जीवनसाथी को सर्वगुण संपन्न देखना चाहता है, किंतु उसका यह सपना तभी साकार हो सकता है,जबकि दोनों ओर से संभावनाओं की अभिव्यक्ति धनात्मक रूप में हो। कोई भी व्यक्ति खुद में संपूर्ण नहीं हो। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं। अतः आवश्यक है कि अपने जीवनसाथी के आवश्यक गुणों को परखें व उन्हें उचित सम्मान दें।

हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ होना मानव का सबसे पहला महत्वपूर्ण कर्तव्य है। कहा जाता है कि आपसी सहयोग संबंधों को मधुर बनाने का सुगम काम करता है। अतः हर बिंदु पर आपसी समझौते द्वारा उचित निवारण करने का भरसक प्रयास करें।
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हर व्यक्ति की विचारधारा, स्वभाव उसकी व्यक्तिगत विशेषता होती है। इसलिए कोशिश करें कि आपसी छोटी-मोटी नोक-झोंक को बात का बतंगड़ या राई का पहाड़ न बनाएं। कहते हैं कि यह क्रिया आग में घी का काम करती है।
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कहते हैं कि जब पति-पत्नी के आपसी संबंधों के बीच कोई तीसरा व्यक्ति हर बात पर अपनी राय देने लगता है तो रिश्तों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है। ऐसी परिस्थिति से बचने का सबसे बढ़िया उपाय यह है कि पति-पत्नी दोनों ही यह महसूस करें कि वे सिर्फ एक-दूसरे के लिए हैं। प्रायवेसी की महत्ता को कायम रखें व आपसी विश्वास को सदैव प्राथमिकता दें। लोगों से खूब घुलें-मिलें किंतु अपने निजी मसलों में बोलने का हक किसी को भी न दें।
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शादी जैसा अटूट प्रेम बंधन तभी जीवंत रह सकता है जब दोनों पक्ष अपने सच्चे वादे पूरे करने की कसम खाते हैं और उसे साकार रूप प्रदान भी करते हों। प्यार की यह नाज़ुक डोर विश्वास, आपसी प्रेम व सामंजस्य से जुड़ी होती है। ऐसे में किसी दूसरे के सामाजिक या पारिवारिक दबाव में आकर जीवनसाथी से धोखा करना सरासर बेईमानी है, जिससे आपसी विश्वास को ठेस पहुंचती है।
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Jyoti

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