गुरु गोबिन्द सिंह मैडीकल अस्पताल में प्रबंध अधूरे, मरीजों को नहीं नसीब होती प्राथमिक सुविधा

punjabkesari.in Monday, Oct 22, 2018 - 11:56 AM (IST)

फरीदकोट(हाली): लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए स्थापित किया गया गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल अस्पताल पर चाहे अब तक सरकार के हजारों करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं परंतु प्रबंधकों की कथित लापरवाही के कारण इस  हालात में पहुंच चुका है कि यहां किसी को कई बार तो प्राथमिक सहायता भी नसीब नहीं होती। पिछले 3 सालों से अस्पताल की हो रही दुर्दशा व मरीजों प्रति व्यवहार को लेकर आखिर शहर की विभिन्न समाज सेवी संस्थाओं ने अस्पताल के प्रबंध सुधारने के लिए मोर्चा भी खोला था परंतु अभी तक कोई ठोस संघर्ष शुरू न होने के कारण इसमें कोई सुधार नहीं हो सका।

जानकारी अनुसार पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्व. पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने फरीदकोट निवासियों को मैडीकल कॉलेज का एक तोहफा 70 के दशक में दिया था। उस समय उत्तरी भारत का यह सबसे आधुनिक तकनीकों वाला अस्पताल था परन्तु धीरे-धीरे यह इसके प्रबंधकों व सरकारी नीतियों की भेंट चढ़ता गया।
 अंतत 90 के दशक में इसको बाबा फरीद यूनिवॢसटी ऑफ हैल्थ साइंसेज के अधीन कर दिया गया। यहां से भले ही इसके सुधार की कई संभावनाएं बनीं और 1998 तक इसकी स्थिति यह थी कि इसके आधे से अधिक वार्डों को डाक्टर न होने के कारण ताले लग गए थे। वहीं 2014 तक इस पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर आलीशान बिल्डिंगें बनाई गईं, आधुनिक मशीनरी लाई गई और विश्व स्तरीय अस्पतालों में से मोटा वेतन देकर अलग-अलग रोगों के माहिर डाक्टर यहां लाए गए।

उस समय तक इस अस्पताल की रोजमर्रा की ओ.पी.डी. 1000 तक पहुंच गई थी। इसके बाद इसका ग्राफ एक बार फिर गिरना शुरू हुआ और अब फिर अपनी पुरानी स्थिति में पहुंच गया है जिसको लेकर शहर के गंभीर लोग अब इसकी इस हालत पर ङ्क्षचतित हैं। अलग-अलग जत्थेबंदियों से संबंधित नेता और शहर को प्यार करने वाले कुछ लोगों ने बताया कि 40 साल पहले मालवा के 10 जिलों के लिए स्थापित किए अस्पताल में मौजूदा समय में लोगों को प्राथमिक सहायता भी नहीं मिलती जबकि इस अस्पताल के डाक्टरों को पंजाब में सबसे अधिक वेतन दिया जा रहा है।इस मामले में जब अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. राजीव जोशी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह मैडीकल अस्पताल और एमरजैंसी विभाग की सेवाओं में काफी सुधार है और अधिक सुधार लाने के लिए प्रयास जारी हैं ताकि दूर-दूराज से आने वाले मरीजों को कोई दिक्कत न आए।
 


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