Kundli Tv- क्या है शरद पूर्णिमा, शास्त्रों में इसका क्या है महत्व

punjabkesari.in Monday, Oct 22, 2018 - 10:23 AM (IST)

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मंगलावर 23 अक्टूबर 2018 को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन को शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर माह में एक बार पूर्णिमा आती है लेकिन शरद पूर्णिमा का त्योहार वर्ष में केवल एक बार आता है। पूरा भारत शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को निहारने के लिए बेकरार रहता है। इस पर्व को शरद पूनम के नाम से भी जाना जाता है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा का दिन वह दिन होता है जिस दिन हर किसी को इंतजार होता है रात्रि के उस पहर का जिसमें 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा अमृत की वर्षा धरती पर करता है। वर्षा ऋतु की जरावस्था और शरद ऋतु के बाल रूप का यह सुंदर संजोग हर किसी का मन मोह लेता है। 
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मान्यता है कि प्राचीन काल से शरद पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है। इसके महत्व और उल्लास के तौर-तरीकों के संबंध में ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में दूध व खीर रखी जाती है। आपको बता दें कि रात 12 बजे होने वाली इस अमृत वर्षा का लाभ उठाने के लिए  हर कोई चंद्रोदय के वक्त गगन तले खीर या दूध रखता है जिसका सेवन रात 12 बजे के बाद ही किया जाता है। आपको बता दें कि इसके अलावा खीर समस्त देवताओं का प्रिय भोजन है। 
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मान्यताओं के अनुसार इस खीर का सेवन करने वाला हर रोगी रोगमुक्त भी होता है। इसके अलावा खीर देवताओं का प्रिय भोजन भी है। इस दिन कोजागौरी लोक्खी यानि देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा चाहे किसी भी वक्त शुरू हो लेकिन पूजा दोपहर 12 बजे बाद ही शुभ मुहूर्त में की जाती है। बता दें कि पूजा में लक्ष्मी जी की प्रतिमा के अलावा कलश, धूप, दुर्वा, कमल का पुष्प, हर्तकी, कौड़ी, आरी (छोटा सूपड़ा), धान, सिंदूर व नारियल के लड्डू प्रमुख होते हैं। इसके अलावा पूजन  विधि में रंगोली और उल्लू ध्वनि का विशेष स्थान है।
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Jyoti

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