रोडवेज हड़ताल: तालमेल कमेटी की सरकार से वार्ता विफल

punjabkesari.in Monday, Oct 22, 2018 - 10:09 AM (IST)

चंडीगढ़(पांडेय): हरियाणा रोडवेज बसों की 6 दिन की हड़ताल के बाद रविवार को कर्मचारियों की तालमेल कमेटी के नेताओं और सरकार के बीच हुई वार्ता विफल हो गई। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर व परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह सहित तमाम अफसरों की मौजूदगी में तालमेल कमेटी के नेताओं ने एक ही मुख्य मांग किलोमीटर स्कीम को खत्म करने की रखी, जिस पर अफसरों ने दो टूक जवाब दे दिया।

कर्मचारी नेता इंद्र सिंह बधाना ने कहा कि 700 बसों के टैंडर रद्द करने के मामले पर सरकार के साथ कोई सहमति नहीं बनी। उन्होंने कहा कि पहले की तरह सोमवार को भी रोडवेज बसों की हड़ताल जारी रहेगी। कमेटी की ओर से 22 अक्तूबर तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया गया था। हालांकि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने कहा कि दोबारा बातचीत की जाएगी। हरियाणा में पिछले 6 दिन से चल रही बसों की हड़ताल के मद्देनजर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर रोडवेज के कर्मचारी नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया था। चंडीगढ़ के सैक्टर-17 स्थित परिवहन विभाग के दफ्तर में दोपहर बाद से वार्ता शुरू हुई, जो शाम 7 बजकर 30 मिनट तक चलती रही। 5 दौर की वार्ता में पहले विभाग के निदेशक से बातचीत हुई फिर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और विभाग के ए.सी.एस. धनपत सिंह बैठक में पहुंचे। 

खुल्लर ने कर्मचारी नेताओं से दो टूक कहा कि किलोमीटर स्कीम का फैसला सरकार का नीतिगत फैसला है। इससे हटकर जो भी मांगें हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से पूरा किया जाएगा लेकिन कर्मचारी नेताओं ने सभी दौर की वार्ता में एक ही मांग किलोमीटर स्कीम को खत्म करने की रखी। कर्मचारी नेता इस मांग पर अड़े रहे और कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन निजी बसों को चलने नहीं दिया जाएगा। 

अब मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होगी वार्ता: धनपत 
परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने कहा कि कर्मचारियों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से बातचीत हुई है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अधिकारी स्तर की बातचीत से संतुष्ट नहीं थे। वह मुख्यमंत्री स्तर पर बातचीत करना चाहते हैं। इसलिए जल्द ही मुख्यमंत्री या मंत्री से समय लेकर बातचीत करवाई जाएगी। धनपत सिंह ने कहा 700 निजी बसें चलाने का फैसला राज्य सरकार ने किया है। अब टैंडर हो चुके हैं। ऐसे में इस पॉलिसी से पीछे नहीं हटा जा सकता लेकिन कर्मचारी निजी बसें चलाने की नीति को ही रद्द करने के पर अड़े हुए हैं। 
 


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Rakhi Yadav

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