अमृतसर हादसाः ड्राइवर ध्यान देते तो नहीं मरते इतने लोग, दोनो गाड़ियों में थी खास सुविधा

punjabkesari.in Saturday, Oct 20, 2018 - 06:03 PM (IST)

अमृतसर:  शुक्रवार को हुए भीषण रेल हादसे को रोका जा सकता था, क्योंकि दोनों ट्रेनों में न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम लगा था। अगर ड्राइवर थोड़ी भी सावधानी बरतते तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती। न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम भारतीय रेलवे की आधुनिक तकनीक मानी जाती है। यह ब्रेक सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ऑपरेट होता है। इसकी मदद से किसी भी इमरजेंसी में गाड़ी को रोका जा सकता है। ब्रेक लगने के बाद हाईस्पीड में चल रही गाड़ी डेढ़ सौ मीटर दूरी पर रुक जाती है।

PunjabKesariगाड़ियों की स्पीड और ट्रैक क्षमता के विशेषज्ञ एक अधिकारी का कहना है कि न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत यह है कि इनके इस्तेमाल से गाड़ी के डिरेलमेंट की संभावना नहीं के बराबर होती है। पहले गाड़ियों में वैक्यूम ब्रेक होते थे, जिसे लगाने के बाद गाड़ी साढ़े तीन सौ मीटर दूरी पर जाकर रुकती थी। इसमें कई बार गाड़ी के डिरेलमेंट होने का खतरा बना रहता था।

PunjabKesariअगर चालक 150-200 मीटर पहले न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल करते तो रावण जलाए जाने वाले स्थल तक गाड़ी रुक सकती थी। दोनों गाड़ियों के ड्राइवरों में से किसी ने भी स्पीड कम नहीं की और न ही इमरजेंसी ब्रेक लगाने का प्रयास किया, जबकि उन्हें ट्रैक के आसपास भीड़ दिखाई दे रही थी। दोनों गाड़ियों के लिए वहां पर कोई कॉशन नहीं लगा था, इसलिए वे फुल स्पीड पर थीं। अहम बात यह है कि दोनों गाड़ियों के ड्राइवर अगर थोड़ी-सी भी सावधानी बरतते तो हादसा इतना भीषण न होता।

PunjabKesariरेलवे एक्सपर्ट कहते हैं कि ट्रेन ड्राइवर ने दूसरी बड़ी गलती यह कर दी कि उन्होंने हादसे की सूचना अगले स्टेशन पर नहीं दी। पहले रेलवे में यही नियम था। अगर कोई ऐसा हादसा होता है तो ड्राइवर अगले स्टेशन पर गाड़ी रोक कर उसकी सूचना देता था।

PunjabKesariबाद में यह नियम बना कि अगर कोई छोटा-बड़ा हादसा होता है तो ट्रेन ड्राइवर और गार्ड तुरंत गाड़ी रोककर मौके पर जाएंगे। आरपीएफ को सूचना देंगे। अमृतसर ट्रेन हादसे में दोनों गाड़ियों के ड्राइवर लापरवाह दिखाई दिए। उन्होंने नियम के मुताबिक अगले स्टेशन पर हादसे की सूचना नहीं दी।

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shukdev

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